कोलकाता
. राज्य सरकार का हमेशा से ही आरोप रहा है कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा छोड़े जाने वाले पानी वजह से राज्य में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है. इस समस्या के समाधान के लिए राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत ने केंद्रीय जल आयोग के समक्ष कई सुझाव रखे हैं. मुख्य सचिव ने केंद्रीय जल आयोग के प्रतिनिधि से कहा है कि राज्य के साथ समन्वय रखते हुए बांधों से पानी छोड़ना होगा. किस बांध से कब कितना पानी छोड़ा जायेगा, इसकी अग्रिम जानकारी राज्य सरकार को देनी होगी. गौरतलब है कि आगामी मॉनसून सीजन की तैयारी के लिए मुख्य सचिव के नेतृत्व में राज्य सचिवालय नबान्न भवन में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई. बैठक में विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों, कई विभागों के सचिवों और सेना के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. बैठक के दौरान ही मुख्य सचिव ने केंद्रीय जल आयोग के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य के साथ समन्वय कर बांधों से पानी छोड़ा जायेगा. इसके बाद केंद्रीय जल आयोग के प्रतिनिधियों ने भी राज्य को अग्रिम सूचना देने के बाद ही पानी छोड़ने का आश्वासन दिया.उल्लेखनीय है कि दक्षिण-पश्चिम माॅनसून पहले ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में प्रवेश कर चुका है. इसके परिणामस्वरूप, देश में समय से पहले मॉनसून की बारिश होने की संभावना है. राज्य में मॉनसून के 10 जून तक प्रवेश करने की संभावना है.
बांधों की मरम्मत का काम तत्काल पूरा करने का निर्देश
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग को मानसून आने से पहले बांधों की मरम्मत का काम तत्काल पूरा करने के निर्देश दिया है. साथ ही यह भी ध्यान रखने के कहा है कि बोरो की खेती में पानी की कमी न हो. इस बैठक में भारतीय सेना, नौसेना, तट रक्षक, मौसम कार्यालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रतिनिधि उपस्थित थे. मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को पर्याप्त राहत सामग्री स्टॉक में रखने के निर्देश दिये हैं. साथ ही बताया गया है कि राहत शिविरों का निरीक्षण कर आवश्यक व्यवस्थाएं करने के लिए कहा गया है. मत्स्य विभाग को निर्देश दिया गया है कि आपदा का पूर्वानुमान लगते ही मछुआरों को तट पर वापस लाने की व्यवस्था की जाये. मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा.
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