शीर्ष अदालत ने एसएससी और राज्य सरकार समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी करने का दिया निर्देश कोलकाता. स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में न्यायालय की अवमानना से संबंधित एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. शीर्ष अदालत ने एसएससी, बंगाल सरकार और अन्य सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मुख्य याचिकाकर्ता लक्ष्मी तुंगा द्वारा दायर एसएलपी को स्वीकार किया. लक्ष्मी तुंगा ने अपनी याचिका में एसएससी द्वारा ओएमआर शीट प्रकाशित करने और चिह्नित उम्मीदवारों से वेतन वापस लेने की मांग की है. इससे पहले, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक की खंडपीठ ने इस अवमानना मामले को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसकी सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में होगी. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया है. गौरतलब है कि इसी साल तीन अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एसएससी नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते राज्य के 26,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. उस फैसले के बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. कथित तौर पर मुख्यमंत्री ने उस दिन फैसले और संबंधित न्यायाधीश के बारे में कई विवादास्पद टिप्पणियां की थीं, जिन्हें न्यायालय की अवमानना के समान माना जा रहा है. इस संबंध में 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक मामला दायर किया गया था. सूत्रों के अनुसार, याचिकाकर्ता की ओर से मामले की जानकारी और संबंधित दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दिये गये हैं. याचिकाकर्ता के वकील आयुष आनंद ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान का अंग्रेजी अनुवाद भी पेश किया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है