शिक्षक नियुक्ति: हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की याद दिलायी
संवाददाता, कोलकाताकलकत्ता हाइकोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से दागी अभ्यर्थियों को दोबारा आवेदन करने से रोकने के आदेश दिये हैं, तब भी उन्हें राज्य द्वारा 30 मई 2025 को अधिसूचित नयी शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के तहत आवेदन करने की अनुमति क्यों दी जा रही है? न्यायाधीश सौगत भट्टाचार्य की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद दागी उम्मीदवारों को अनुमति क्यों दी जा रही है? एसएससी द्वारा 30 मई को जारी अधिसूचना में दागी उम्मीदवारों को आवेदन करने से रोकने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है. मैं देख सकता हूं कि अधिसूचना में खामियां हैं, लेकिन चूंकि अनुमति दी गयी, कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर रहा. लेकिन राज्य सरकार को यह बताना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की विशेष टिप्पणियों के बावजूद दागी उम्मीदवारों को परीक्षा में भाग लेने की अनुमति क्यों दी जायेगी?’ सुनवाई के दौरान अदालत की ओर से उठाये गये सवालों को देखते हुए राज्य सरकार ने समय की मांग की ताकि वह बाद में स्पष्टीकरण के साथ आ सके. राज्य के वकील ने कहा: कृपया अभी कुछ रिकॉर्ड न करें… हमने जो कुछ भी किया, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन करते हुए किया. इससे आगे कुछ नहीं. ” इसके बाद याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य ने मई की अधिसूचना जारी करते समय संभवतः अनजाने में गलती की होगी, जिसे सुधारा जा सकता है. इस पर न्यायाधीश ने कहा, “यह बात मुझे परेशान कर रही है. क्योंकि जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दागी उम्मीदवारों को अनुमति नहीं दी जायेगी, तो राज्य की अधिसूचना में यह प्रावधान कहां है? इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्पष्टीकरण दायर कर सुलझाया जाये?’ इसके बाद मामले की सुनवाई सात जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गयी.
क्या कहना है याचिकाकर्ताओं का
याचिकाकर्ताओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए कहा कि राज्य की नियुक्ति अधिसूचना में उन उम्मीदवारों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नौकरी से बर्खास्त कर दिया था और अब वे वर्तमान प्रक्रिया के तहत आवेदन कर सकते हैं. याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि राज्य की अधिसूचना में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया. कोर्ट ने फिलहाल कोई टिप्पणी करने से परहेज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण मांग सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है