राजारहाट जलाशय मामला
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने सोमवार को राजारहाट में एक जलाशय को भरने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. हाइकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पांच बीघा जलाशय को भरने से जुड़े इस मामले का निपटारा स्थानीय लोगों की बात सुने बिना नहीं किया जा सकता. सोमवार को न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने हाइकोर्ट की एकल पीठ को इस मामले पर नये सिरे से सुनवाई करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया. यह मामला तब सामने आया जब एक कंपनी ने स्थानीय लोगों पर जलाशय को भरने में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए एकल पीठ का दरवाजा खटखटाया था. कंपनी का दावा था कि जलाशय को भरने के लिए कानून के मुताबिक जमीन का स्वरूप बदल दिया गया है और इसे राज्य के संबंधित विभाग से मंजूरी भी मिल गयी है. हालांकि, खंडपीठ ने कंपनी के इस दावे को स्वीकार नहीं किया. खंडपीठ ने कहा कि ग्रामीणों का तर्क स्वीकार्य है.
इसी के मद्देनजर, न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने एकल पीठ को आदेश दिया है कि वह नये सिरे से सुनवाई कर निर्णय ले. साथ ही खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि एकल पीठ स्थानीय लोगों की बात सुने बिना कंपनी द्वारा दायर मामले का निपटारा नहीं कर सकती. कंपनी का आरोप है कि कुछ स्थानीय लोग पांच बीघा में फैले जलाशय को भरने में बाधा डाल रहे हैं, जिसके कारण कंपनी ने अदालत का रुख किया था. इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
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