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बंगाल में डॉक्टरों को रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराने के लिए क्रेडिट प्वॉइंट अनिवार्य

राज्य में अब डॉक्टरों के लिए अपने पंजीकरण संख्या को रिन्यू कराने के लिए हर पांच साल में 30 क्रेडिट आवर्स (पॉइंट) प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया है.

वेस्ट बंगाल मेडिकल काउंसिल के इस निर्देश पर चिकित्सकों ने जतायी कड़ी आपत्ति

संवाददाता, कोलकाता

राज्य में अब डॉक्टरों के लिए अपने पंजीकरण संख्या को रिन्यू कराने के लिए हर पांच साल में 30 क्रेडिट आवर्स (पॉइंट) प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया है. वेस्ट बंगाल मेडिकल काउंसिल (डब्ल्यूबीएमसी) द्वारा जारी इस अधिसूचना ने राज्य भर के डॉक्टरों, चाहे वे सरकारी क्षेत्र के हों या निजी, के बीच विवाद खड़ा कर दिया है. एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर डॉ मानस गुमटा ने इस नियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की गाइडलाइन में 30 क्रेडिट आवर्स का उल्लेख तो है, लेकिन पंजीकरण के रिन्यूअल के लिए इसे अनिवार्य नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने क्रेडिट आवर्स को अनिवार्य कर दिया है. डॉक्टर अपनी इच्छा से ज्ञानवर्धन और चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे नये अपडेट्स के बारे में जानने के लिए सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमइ) कार्यक्रमों, जैसे सेमिनार और कार्यशालाओं में हिस्सा लेते रहते हैं. लेकिन अब बंगाल में डॉक्टरों को अनिवार्य रूप से इन कार्यक्रमों में भाग लेना होगा.

नियमों के अनुसार, किसी भी सीएमई में हिस्सा लेने से पहले डॉक्टरों को डब्ल्यूबीएमसी से अनुमति लेनी होगी, जिसके लिए हर बार 200 का भुगतान करना होगा. चौंकाने वाली बात यह है कि देश के बाहर किसी अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में हिस्सा लेने वाले डॉक्टरों को क्रेडिट आवर्स के लिए अंक नहीं मिलेंगे. डॉ उत्पल बंद्योपाध्याय ने इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग ने एनएमसी के दिशानिर्देशों को अनिवार्य तो कर दिया है, लेकिन यह नहीं बताया कि राज्य के दूरदराज या ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे डॉक्टर सीएमइ में शामिल होने के लिए कोलकाता कैसे आयेंगे, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में सीएमइ का आयोजन संभव नहीं है. ऐसे डॉक्टरों को छुट्टी लेकर इन कार्यक्रमों में शामिल होना पड़ेगा. उन्होंने पूछा कि क्या सरकार ऐसे चिकित्सकों को कोई विशेष सुविधा देगी?

डॉ बंद्योपाध्याय ने ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले डॉक्टरों के लिए स्थानीय स्तर पर सीएमइ या समय-समय पर प्रशिक्षण की व्यवस्था की मांग की है. उन्होंने डब्ल्यूबीएमसी पर राज्य सरकार के निर्देशों पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग एनएमसी के दिशानिर्देशों से एक कदम आगे बढ़कर डॉक्टरों पर शिकंजा कस रहा है और प्रशिक्षण के नाम पर पैसे वसूलने की कोशिश कर रहा है.

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