संवाददाता, कोलकाता.
कलकत्ता विश्वविद्यालय ने साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज से प्रवेश संबंधी दस्तावेज़ मांगे हैं. इस संबंध में सीयू की कुलपति ने कहा है कि ये दस्तावेज़ अगले सप्ताह होनेवाली तथ्य-खोजी कमेटी की बैठक में सौंपे जाने चाहिए. कलकत्ता विश्वविद्यालय ने साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज से शासी निकाय के प्रस्ताव और प्रवेश संबंधी दस्तावेज़ जमा करने को कहा है. ध्यान रहे, गत 25 जून को एक 24 वर्षीय छात्रा के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी. सीयू की वाइस चांसलर शांता दत्ता दे ने कहा है कि ये दस्तावेज़ तथ्य-खोजी समिति को सौंपे जाने चाहिए. कॉलेज में नियुक्तियों और प्रवेश में अनियमितताओं की शिकायतों की जांच के लिए पिछले सप्ताह इस समिति का गठन किया गया था. “कॉलेज एक सप्ताह बाद सोमवार को फिर से खुल गया. कॉलेज की वाइस-प्रिंसिपल ने एक रिपोर्ट जमा कर दी है, लेकिन हमें गवर्निंग बॉडी के प्रस्ताव या प्रवेश संबंधी रिकॉर्ड नहीं मिले हैं. कॉलेज को सोमवार तक ये प्रस्ताव भेजने को कहा गया है.
ध्यान रहे, सीयू की पांच सदस्यीय टीम ने दो जुलाई को कस्बा स्थित लॉ कॉलेज का दौरा किया और उस बैठक के रिकॉर्ड मांगे, जिसमें मनोजीत मिश्रा की आकस्मिक कर्मचारी के रूप में नियुक्ति को मंज़ूरी दी गयी थी. सामूहिक बलात्कार का मुख्य आरोपी 31 वर्षीय मिश्रा कॉलेज का पूर्व छात्र है. उसे गवर्निंग बॉडी की सिफ़ारिश पर जुलाई 2024 में नियुक्त किया गया था. इस साल एक जुलाई को उसकी नौकरी समाप्त कर दी गयी. तृणमूल विधायक अशोक देब, कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के प्रमुख हैं जिसने मिश्रा की नियुक्ति को मंज़ूरी दी थी. मिश्रा को दो छात्रों, 20 वर्षीय प्रमित मुखर्जी और 19 वर्षीय ज़ैब अहमद – और 55 वर्षीय सुरक्षा गार्ड पिनाकी बनर्जी के साथ सामूहिक बलात्कार और गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. सीयू टीम के एक सदस्य ने कहा, 27 जून को, उप-प्राचार्य नयना चटर्जी ने मीडिया को बताया कि मिश्रा की नियुक्ति शासी निकाय की सिफ़ारिश पर की गयी थी. हम जानना चाहते हैं कि उनके ख़िलाफ़ छेड़छाड़ और मारपीट सहित कम से कम 11 मामले दर्ज होने के बावजूद ऐसा क्यों किया गया. पिछले साल मई में उप-प्राचार्य ने कसबा पुलिस स्टेशन में मिश्रा पर एक सुरक्षा गार्ड के साथ मारपीट करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
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