संवाददाता, कोलकाता 2021 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कांकुरगाछी में मारे गये भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के भाई विश्वजीत सरकार ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए ममता बनर्जी सरकार और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाये हैं. यह तब सामने आया है जब भाजपा विधायक परेश पाल और दो पार्षदों स्वप्न समद्दार और पापिया घोष को इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय से राहत मिली है. अभिजीत सरकार के परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी बेरहमी से हत्या की गयी थी. शुरुआत में नारकेलडांगा थाने की पुलिस ने जांच शुरू की थी और 15 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. बाद में कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ ने जांच अपने हाथ में ले ली. सीबीआइ ने पहला अतिरिक्त आरोप पत्र दायर किया जिसमें 20 आरोपी नामित थे. हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अपना दूसरा अतिरिक्त आरोप पत्र दायर किया, जिसमें 18 लोगों के नाम थे. उनमें विधायक परेश पाल और दो पार्षद भी शामिल थे. इसके बाद इन नेताओं ने तुरंत कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया. उच्च न्यायालय ने विधायक परेश पाल, पार्षद स्वप्न समद्दार और पापिया घोष को मामले की सुनवाई में राहत दी है और निचली अदालत में एक अगस्त तक कोई सुनवाई नहीं होगी. इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अभिजीत के भाई विश्वजीत सरकार ने कहा कि वह पहले दिन से ही कह रहे हैं कि पुलिस, विधायक और पार्षद इस घटना में शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी इस घटना को हवा दे रही हैं और इन सभी ने पूरे बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा की. विश्वजीत ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस मामले में गिरफ्तार किये गये तीन पुलिस अधिकारियों को अब तक निलंबित नहीं किया गया है, जबकि पुलिस नियमों के अनुसार उन्हें 48 घंटे के भीतर निलंबित किया जाना चाहिए. उन्होंने पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनसे पूछने पर भी कोई जवाब नहीं मिलता कि नियमों का पालन क्यों नहीं हो रहा है. इस बीच, हाइकोर्ट ने पुलिस इंस्पेक्टर रत्ना सरकार और होमगार्ड दीपांकर देबनाथ की गिरफ्तारी के संबंध में सीबीआइ से रिपोर्ट मांगी है. सीबीआइ को अगले शुक्रवार तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी.
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