कोलकाता. रायगंज विश्वविद्यालय में संताली भाषा में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने की मांग को लेकर शुक्रवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया. विरोध इतना तीव्र था कि विश्वविद्यालय के कुलपति दीपक कुमार राय को लगभग पूरे दिन विश्वविद्यालय परिसर में फंसे रहना पड़ा, और देर रात ही वे बाहर निकल सके. शुक्रवार सुबह से ही आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि और छात्र विश्वविद्यालय में जमा होने लगे. यूनाइटेड फोरम फॉर ऑल ट्राइबल ऑर्गेनाइजेशन के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालने के बाद परिसर में प्रवेश किया और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. शुरुआत में वे कुलपति कार्यालय के सामने डटे रहे, लेकिन जब कुलपति शाम करीब चार बजे बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, तो उन्हें मुख्य द्वार पर घेर लिया गया. इसके बाद लगभग सात–आठ घंटे तक घेराव जारी रहा. कुलपति दीपक कुमार राय ने प्रदर्शनकारियों से लगातार बैठकें और बातचीत कीं. अंततः रात में प्रदर्शनकारी शांत हुए और कुलपति को जाने दिया गया. बाहर निकलने के बाद कुलपति ने मीडिया से कहा : उनकी मांगें जायज हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है. हमने उच्च शिक्षा विभाग और राजभवन से संपर्क किया है और संताली भाषा में कोर्स शुरू करने के लिए एनओसी मांगी गयी है.
कुछ प्रशासनिक प्रक्रियाएं समय ले सकती हैं, लेकिन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
भविष्य में बड़े आंदोलन की चेतावनी
दिलीप किस्कू, जो आदिवासी संगठनों की ओर से जिला संयोजक हैं, ने बताया कि कुलपति से लगभग ढाई से तीन घंटे तक विस्तार से बातचीत हुई और कुलपति ने मांगों को लागू करने का आश्वासन दिया है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर जल्द ही कोर्स शुरू करने की दिशा में ठोस पहल नहीं हुई, तो आदिवासी समुदाय फिर से आंदोलन के लिए तैयार है.
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