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अवैध पार्किंग व हॉकरों की समस्या पर हुई चर्चा

निगम का मासिक अधिवेशन. भाजपा ने पेश किया सख्त हॉकर नीति और पार्किंग नीति का प्रस्ताव

निगम का मासिक अधिवेशन. भाजपा ने पेश किया सख्त हॉकर नीति और पार्किंग नीति का प्रस्ताव कोलकाता. महानगर में अवैध पार्किंग और सड़कों पर हॉकरों की बढ़ती संख्या अब शहरवासियों के लिए बड़ी समस्या बन गयी है. इन मुद्दों पर वर्षों से कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के मासिक अधिवेशन में चर्चा होती रही है. बावजूद इसके, कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है. शुक्रवार को एक बार फिर इन दोनों मुद्दों को भाजपा की ओर से निगम अधिवेशन में उठाया गया. भाजपा पार्षद सजल घोष ने इन मुद्दों पर प्रस्ताव पेश किया, जिसका समर्थन भाजपा पार्षद विजय ओझा ने किया. सजल घोष ने कहा कि कोलकाता एक ऐतिहासिक और पुराना शहर है, लेकिन हर जगह बैठने वाले अवैध हॉकर इसकी पहचान और सुंदरता को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक स्पष्ट, दीर्घकालिक और सख्त हॉकर नीति बनायी जाये, ताकि हॉकरों की आजीविका भी सुरक्षित रहे और शहर की छवि भी बनी रहे. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि निगम मुख्यालय के पास एसएन बनर्जी रोड, हॉग मार्केट और न्यू मार्केट क्षेत्रों में हॉकर सीधे ब्लैक टॉप यानी सड़क पर बैठकर कारोबार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2011 के बाद से कोलकाता में हॉकरों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है. इसके साथ ही, उन्होंने निगम की वर्तमान हॉकर नीति पर भी सवाल खड़े किये. अवैध पार्किंग को लेकर भी चिंता: सजल घोष ने अवैध पार्किंग के मसले को भी जोरशोर से उठाया. उन्होंने कहा कि शहर पर यातायात का दबाव लगातार बढ़ रहा है, लेकिन सड़कों की चौड़ाई बढ़ाना संभव नहीं. इसके बावजूद सड़कों को अवैध पार्किंग स्थल में बदल दिया गया है. उन्होंने सुझाव दिया कि निगम एक प्रभावी नीति बनाकर पार्किंग व्यवस्था का पुनर्गठन करे और सख्ती से उसका पालन सुनिश्चित करे. इससे आम लोगों को राहत मिलेगी और निगम की आय भी बढ़ेगी. इन प्रस्तावों का जवाब देते हुए मेयर परिषद (एमएमआइसी) में हॉकर्स पुनर्वास और पार्किंग विभाग के सदस्य देवाशीष कुमार ने कहा कि केंद्रीय कानून के अनुसार कोलकाता नगर निगम द्वारा टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन किया गया है. हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर हॉकरों का सर्वे भी कराया गया है. उन्होंने पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अब हॉकरों के खिलाफ कोई ””ऑपरेशन सनशाइन”” नहीं चलाया जाता. उन्होंने बताया कि केंद्रीय कानून के अनुसार फुटपाथ का एक तिहाई हिस्सा हॉकरों और दो तिहाई पैदल चलने वालों के लिए छोड़ा जाना चाहिए. इसी प्रावधान के तहत हॉकरों को फुटपाथ पर जगह दी जाती है. उन्होंने बताया कि सर्वे के अनुसार कोलकाता में लगभग 54 हजार हॉकर हैं, जिनमें वैध और अवैध दोनों की पहचान की जा चुकी है. हॉग मार्केट और न्यू मार्केट में ब्लैक टॉप पर बैठने वाले हॉकरों के खिलाफ नियमित रूप से पुलिस अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि कोलकाता में एक स्पष्ट हॉकर नीति के अंतर्गत ही इन पर नियंत्रण किया जा रहा है. सुरक्षा कारणों से कई बाजारों में हॉकरों को प्लास्टिक के तिरपाल टांगने की अनुमति नहीं दी जा रही है और उसकी जगह टीन का शेड लगाया गया है. एमएमआइसी ने अवैध पार्किंग की समस्या स्वीकार की : देवाशीष कुमार ने माना कि कोलकाता में अवैध पार्किंग एक वास्तविक समस्या है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में निगम ने पार्किंग विभाग का गठन किया था. फिलहाल शहर में 555 अधिकृत पार्किंग लॉट और 600 नाइट पार्किंग लॉट हैं. दिन के समय पार्किंग व्यवस्था की देखरेख कोलकाता पुलिस करती है, जबकि रात में इसकी जिम्मेदारी निगम की होती है. पार्किंग शुल्क की वसूली निगम करता है, लेकिन वर्षों से शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में पार्किंग शुल्क से 14 करोड़ 29 लाख रुपये की वसूली हुई थी, जबकि 2024-25 वित्त वर्ष में यह राशि बढ़कर 22 करोड़ रुपये हो गयी है. उन्होंने कहा कि आय बढ़ी है, लेकिन अवैध पार्किंग पर नियंत्रण के लिए रात में निगम और पुलिस मिलकर अभियान चलाते हैं और वाहनों पर एक हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है.

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