कोलकाता. विद्यासागर विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रश्नपत्र में क्रांतिकारियों को “आतंकवादी ” कहे जाने के विवाद ने गंभीर मोड़ ले लिया है. इस मुद्दे पर शनिवार को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (इसी) की बैठक आयोजित की गयी, जिसमें सभी सदस्यों से सुझाव मांगे गये और भविष्य में ऐसी त्रुटियों से बचने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की गयी.
प्रश्नपत्र में आपत्तिजनक भाषा से मचा था बवाल
तीन दिन पहले इतिहास ऑनर्स के प्रश्नपत्र में स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों को “आतंकवादी ” कहे जाने पर छात्रों, शिक्षकों और इतिहासकारों में तीखी प्रतिक्रिया देखी गयी. मामले ने इतना तूल पकड़ा कि विश्वविद्यालय को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी.उच्च शिक्षा विभाग की हस्तक्षेप से बैठक में उठा मुद्दा
हालांकि कार्यकारी परिषद की बैठक के एजेंडे में यह विवादित मुद्दा शामिल नहीं था, लेकिन बैठक के दौरान उच्च शिक्षा विभाग की प्रतिनिधि और वरिष्ठ विशेष सचिव चांदनी टुडू ने इसे उठाया. इसके बाद कुलपति डॉ दीपक कुमार कर ने विस्तृत स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह शब्द चयन अनजाने में हुआ, लेकिन यह “खेदजनक ” है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विश्वविद्यालय की सोच का प्रतिबिंब नहीं है.कार्यकारी परिषद की पहली बैठक में गंभीर मंथन
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में यह पहली कार्यकारी परिषद की बैठक थी, जो रात 10 बजे तक चली. बैठक में सभी स्तरों पर गहन विचार-विमर्श हुआ और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस नीतिगत दिशा तय करने की बात कही गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है