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पर्यावरण को बचाने के लिए बायोप्लास्टिक के इस्तेमाल पर देना होगा जोर

बायोप्लास्टिक के लाभ के बारे में स्वाति नंदी चक्रवर्ती ने कहा कि पारंपरिक प्लास्टिक वैश्विक तेल का आठ प्रतिशत उपभोग करता है.

कोलकाता. पर्यावरण को बचाने के लिए हमें पारंपरिक प्लास्टिक के बजाय बायोप्लास्टिक के प्रयोग पर जोर देना चाहिए, क्योंकि पारंपरिक प्लास्टिक वैश्विक तेल का लगभग आठ प्रतिशत का उपभोग करता है. ऐसे में इसे नष्ट करते समय कार्बन उत्सर्जन काफी अधिक मात्रा में होता है. ये बातें केंद्र सरकार के कैंटोनमेंट बोर्ड की पर्यावरण सलाहकार स्वाति नंदी चक्रवर्ती ने भारत चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कहीं. इस मौके पर पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के चेयरमैन कल्याण रूद्र व चेंबर के अध्यक्ष नरेश पचीसिया भी उपस्थित रहे. बायोप्लास्टिक के लाभ के बारे में स्वाति नंदी चक्रवर्ती ने कहा कि पारंपरिक प्लास्टिक वैश्विक तेल का आठ प्रतिशत उपभोग करता है. बायोप्लास्टिक इस निर्भरता को काफी कम करता है.

इसके अलावा, पारंपरिक प्लास्टिक को नष्ट होने में 400 साल से अधिक का समय लगता है. इससे सलाना आठ मिलियन टन प्लास्टिक हमारे महासागरों में प्रवेश करता है. उन्होंने कहा कि बायोप्लास्टिक बहुत तेजी से नष्ट होता है. सुश्री चक्रवर्ती ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बायोप्लास्टिक कार्बन उत्सर्जन को 25-75 प्रतिशत तक कम करता है. यह उन्हें जलवायु परिवर्तन से लड़ने में एक महत्वपूर्ण उपकरण बनाता है. उन्होंने कहा कि भारत ने 2021 में 2,400 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का आयात किया है, जिसमें से लगभग सभी कैरी बैग और कचरा बैग के निर्माण के लिए प्रयोग किये जाते हैं. उन्होंने बताया कि बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बाजार 12.1 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ बढ़ रहा है.

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