कोलकाता. राज्य के हुगली जिले के रिसड़ा निवासी बीएसएफ कांस्टेबल पूर्णम कुमार साव की पाकिस्तान से सुरक्षित वापसी की खबर मिलते ही इलाके में जश्न का माहौल छा गया. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बैसरन घाटी में आतंकी हमले के एक दिन बाद, ड्यूटी के दौरान पूर्णम साव गलती से फिरोजपुर बॉर्डर से पाकिस्तान की सीमा में चले गये थे, जहां उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था.13 मई की सुबह, पाकिस्तान ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर उन्हें भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार सुबह बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार साव की पत्नी रजनी को फोन किया, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण वह कॉल रिसीव नहीं हो सकी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने रिसड़ा नगरपालिका के चेयरमैन विजय सागर मिश्रा को फोन कर बताया कि पूर्णम की पाकिस्तान से रिहाई हो गयी है और वह भारत की सीमा में लौट चुके हैं. औपचारिकताएं पूरी होते ही वह घर लौट आयेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह साव परिवार से बात करना चाहती हैं, लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा है, कृपया मदद करें.विजय सागर मिश्रा एक पल भी गंवाए बिना पूर्णम के घर पहुंचे. वहां मुख्यमंत्री की बात रजनी से करवायी. ममता बनर्जी ने बताया कि सुबह 10:30 बजे पूर्णम को पंजाब स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत को सौंपा गया. यह जानकारी उन्हें बीएसएफ की प्रेस विज्ञप्ति से मिली. खबर मिलते ही साव परिवार में खुशी की लहर दौड़ गयी. मुख्यमंत्री ने कहा : पूर्णम मेरा भाई है, वह हमारा गौरव है. मुख्यमंत्री की पहल, तृणमूल सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय और स्थानीय प्रशासन के प्रयासों ने साव परिवार को कठिन समय में सहारा दिया. विजय सागर मिश्रा ने साव परिवार के घर पहुंचकर मुख्यमंत्री से रजनी की बात करायी.
मोदी हैं तो मुमकिन है : रजनी साव
पूर्णम की पत्नी रजनी साव ने गर्व भरे स्वर में कहा- मोदी हैं तो मुमकिन है. जब तक नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, तब तक देश के हर सिपाही की सुरक्षा सुनिश्चित है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा किये गये ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. उसी अभियान के बाद मेरे सिंदूर की रक्षा हुई, इसके लिए प्रधानमंत्री और सेना दोनों को धन्यवाद देती हूं. रजनी ने बताया कि 23 दिनों बाद पहली बार उन्होंने वीडियो कॉल पर अपने पति को मुस्कुराते देखा. बेटे ने भी पिता से बात की. मां देवंती देवी की आंखों से खुशी के आंसू थम नहीं रहे थे. उन्होंने कहा : अब जब मेरा बेटा लौट आया है, तो उसे उसके पसंदीदा रसगुल्ले जरूर खिलाऊंगी. यह सिर्फ एक जवान की वापसी नहीं, बल्कि उस अटूट विश्वास और इंतजार की जीत है, जो उसकी मां, पत्नी और पूरे समुदाय ने 23 दिन तक जिया.
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