कोलकाता. असम में भाजपा की सरकार द्वारा बांग्ला बोलने वाले बंगालियों को बांग्लादेशी कह कर उन पर हमले किये जा रहे हैं. उन्हें घरों से निकाला जा रहा है, जेल भेजा जा रहा है. यह भाजपा की विभाजन और सांप्रदायिकता की नीति है, जो जाति-धर्म-भाषा के नाम पर लोगों को बांटना चाहती है, ताकि भाजपा सरकार द्वारा लिये गये जन विरोधी निर्णयों के खिलाफ जनता लामबंद न हो सके. इस बाबत कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने भी केंद्र से कुछ प्रश्न किया है. महाराष्ट्र और कर्नाटक में हिंदीभाषियों पर हुए हमले भी इसी षडयंत्र का सह उत्पाद हैं. देश के संविधान ने सभी देशवासियों को पूरे देश में कहीं भी जाने, रहने और बसने का अधिकार दिया है. रोटी- रोजगार के लिए लोग एक से दूसरी जगह, एक से दूसरे राज्य, एक से दूसरे देश जाते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि सरकारें उन पर हमले करें. पर, हमारे देश में ही हमारे देश के लोगों पर ये हमले अत्यंत निंदनीय हैं.
पश्चिम बंग हिंदी भाषी समाज असम में बांग्ला भाषियों पर हो रहे हमलों के साथ ही महाराष्ट्र और कर्नाटक, जहां हिंदी भाषियों पर भी हमले हुए हैं, की कड़ी निंदा करता है. संस्था ने सरकारों द्वारा भाषा संबंधी मामलों को बंद करने की मांग भी की है. संगठन ने भाजपा सरकार के रवैये के खिलाफ सभी से एक होने की अपील भी की है. यह जानकारी संगठन के अध्यक्ष हेमंत प्रभाकर और कार्यकारी महासचिव पूनम कौर ने साझा की.
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