सुंदरबन.
राज्य के सुंदरबन में हिंगलगंज की रहने वाली एक रिक्शा चालक की बेटी बिदिशा बर ने नीट परीक्षा में 42 हजार रैंक हासिल कर परिवार और गांव का नाम रोशन किया है. गरीबी में पली-बढ़ी बिदिशा ने तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने डॉक्टर बनने के सपने की ओर पहला कदम बढ़ाया है. हिंगलगंज के बांशतला ग्राम में एक बेहद गरीब परिवार में जन्मी बिदिशा ने बचपन से ही अभावों को करीब से देखा. पढ़ाई के साथ-साथ वह घर के सारे काम भी जिम्मेदारी से करती थी. जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, उसने अपने गांव में डॉक्टरों और चिकित्सा सुविधाओं की कमी महसूस की. लोगों को इलाज के लिए दूर-दूर जाना पड़ता था, जिसे देखकर उसने डॉक्टर बनने का सपना देखा और उसी दिशा में संघर्ष करती रही.कोचिंग के बिना यूट्यूब से की तैयारी
बिदिशा के पिता मनोजीत बर एक रिक्शा चालक हैं, जो पहले कोलकाता में रिक्शा चलाते थे. कोविड के बाद उनका काम भी बंद हो गया, जिससे परिवार का खर्च चलाना और भी मुश्किल हो गया. ऐसे में बिदिशा के पास न तो नीट की कोचिंग के लिए पैसे थे और न ही अच्छी सुविधाएं. 10वीं पास करने के बाद बिदिशा को राज्य सरकार से 11वीं-12वीं के छात्रों को मिलने वाला टैब मिला था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे वह बेचना पड़ा. हालांकि, उसने अपने सपनों को नहीं बेचा. कोविड के समय पिता की खराब आर्थिक स्थिति के कारण वे मोबाइल भी नहीं खरीद सकते थे, तब एक शिक्षक ने उन्हें एक स्मार्टफोन दिया. उसी फोन का इस्तेमाल कर बिदिशा ने यूट्यूब के सहारे नीट परीक्षा की तैयारी शुरू की और आखिरकार सफलता हासिल की.ग्रामवासियों के लिए डॉक्टर बनने का लक्ष्य
बिदिशा का कहना है कि उसके दिमाग में बस एक ही बात थी कि उसे डॉक्टर बनना है, ताकि वह अपने गांव के लोगों की मदद कर सके जिन्हें इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है. वह दृढ़ इच्छाशक्ति और खुद पर अटूट विश्वास के साथ अपनी तैयारी करती रही, जिसमें उनके माता-पिता ने पूरा सहयोग दिया. बिदिशा कहती हैं, “यह जीत उन लड़कियों की है, जिनके सपने सिर्फ हिम्मत और लगन से जिंदा हैं.”डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है