खड़गपुर. बंगाल में कई मामलों में उसे पहले भी ज़मानत मिल चुकी है. हालांकि, पड़ोसी राज्य झारखंड में एक मामले में उसे आजीवन कारावास की सज़ा सुनायी गयी थी. हाल ही में उसे उस मामले में बरी कर दिया गया. एक समय की माओवादी नेता शोभा मुंडा उर्फ़ चंदना सिंह को ज़रूरी दस्तावेज़ मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया. मेदिनीपुर केंद्रीय सुधार गृह से निकलने के बाद शोभा ने कहा, मैं घर जा रही हूं. बाद में सोचूंगी कि क्या करना है. शोभा का घर झाड़ग्राम के बेलपहाड़ी में है. उसकी मां वहीं रहती हैं. उसके बडे़ भाई तारक और बड़ी बहन छवि सिंह उसे लेने आये थे. तारक का कहना हैं कि, ‘मेरी बहन माओवादी मामले में कई दिनों तक जेल में रही थी. रिहा होने से अच्छा लग रहा है.’
उस समय इस राज्य के लालगढ़ में एक आंदोलन चल रहा था.शोभा को झारखंड पुलिस ने 2010 में गिरफ्तार किया था. 2014 में घाटशिला की अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, झारखंड उच्च न्यायालय ने एक जुलाई को उसे उस मामले में बरी कर दिया था. झाड़ग्राम में भी शोभा के खिलाफ कई मामले दर्ज थे. उसे मामले में जमानत मिल गयी थी. अब वह तीस की उम्र पार कर चुकी हैं. एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) के महासचिव रंजीत सुर ने कहा, “शोभा 2009 में नाबालिग थी, लेकिन पुलिस ने उसे बालिग दिखाकर मामला दर्ज कर लिया. ” रंजीत की शिकायत है, “शोभा की रिहाई की खबर मिलने के बाद से पुलिस बेलपहाड़ी में उसके परिवार पर तरह-तरह से दबाव बना रही थी. ” एपीडीआर कार्यकर्ता जयश्री पाल का दावा है, “लड़की ने बिना किसी मुकदमे के 15 साल जेल में बिताये. 2022 से रांची हाइकोर्ट में फैसला लंबित है. ” क्या उसने जो रास्ता चुना, वह सही था? माओवादी नेत्री ने जवाब दिया, “पहले घर जाउंगी. सही था या ग़लत, मैं अभी कुछ नहीं कह सकती. “
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