कोलकाता. अलीपुर चिड़ियाघर में सबसे लंबे जानवर जिराफों की शान अब संकट में है. परिवार के सदस्यों के बीच प्रजनन व आनुवांशिक विचलन के कारण इनकी लंबाई कम हो रही है. संकट के समाधान के लिए पटना से अलग नस्ल के जिराफ लाकर अलीपुर चिड़ियाघर में प्रजनन कराया जायेगा. अलीपुर में फिलहाल नौ जिराफ हैं, जिनमें तीन नर और छह मादा हैं. इनका परिवार धीरे-धीरे बढ़ रहा है. लेकिन नयी पीढ़ी के जिराफों की लंबाई कम हो रही है. आनुवांशिक समस्याएं भी सामने आ रही हैं. एक जिराफ की औसत ऊंचाई 14 से 20 फीट होती है. वहीं, अलीपुर चिड़ियाघर में नयी पीढ़ी की ऊंचाई 10 से 12 फीट है. अधिकारियों को डर है कि अगर परिवार के भीतर प्रजनन बंद नहीं किया गया, तो अलीपुर के जिराफ धीरे-धीरे छोटे होते जायेंगे.
चिड़ियाघर सूत्रों के मुताबिक अलीपुर में परिवार के सदस्यों के बीच जिराफों का प्रजनन सालों से चल रहा है. नतीजतन, आनुवंशिक समस्याओं के कारण उनकी ऊंचाई भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है. जिराफों की ऊंचाई बनाये रखने और आनुवंशिक समस्याओं से बचने के लिए लंबे समय से दूसरे राज्यों से जिराफ मंगाने पर विचार चल रहा था. आखिरकार पटना चिड़ियाघर में जिराफों के आदान-प्रदान की बात पर सहमति बन ही गयी. अलीपुर पटना को जिराफ के आदान-प्रदान की व्यवस्था में एक मादा जिराफ देगा और पटना भी एक मादा जिराफ भेजेगा. इस मामले पर दोनों पक्षों में बातचीत अंतिम चरण में है. हाल ही में बिहार राज्य चिड़ियाघर प्राधिकरण के प्रतिनिधियों ने अलीपुर चिड़ियाघर का दौरा किया था. उन्होंने जिराफ के आदान-प्रदान के लिए केंद्रीय जू प्राधिकरण से अनुमति के लिए आवेदन भी किया है. हरी झंडी मिलते ही पटना से मादा जिराफ आयेगी. वर्ष 1986 में जर्मनी से दो जोड़ी जिराफ अलीपुर लाये गये थे. वर्तमान में तृणा, मुनिया, लक्ष्मी, बिथिर, बबली और मंगला इन्हीं के वंशज हैं. इनके कई भाई-बहन भी दूसरे राज्यों में हैं. जिराफ पर्यटकों को आकर्षित करने के मामले में बाघ, शेर और चिम्पांजी से प्रतिस्पर्धा करते हैं. जिराफों की कीमत भी काफी अधिक होती है. उदाहरण के लिए, पिछले साल ओडिशा के नंदनकानन से अलीपुर में एक बाघ समेत कई जानवर लाये गये थे. बदले में उन्हें यहां से दो जिराफ दिये गये थे.
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