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कोर्ट के फैसले से सरकारी कर्मी गदगद, कहा : डीए भीख नहीं, हमारा अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के आवेदन को स्वीकार करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार से बकाया डीए का भुगतान करने का आदेश दिया.

कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के आवेदन को स्वीकार करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार से बकाया डीए का भुगतान करने का आदेश दिया. हालांकि, फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में कुल बकाया डीए का 25 प्रतिशत राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है और कहा है कि शेष बकाया पर फैसला अगस्त महीने में अगली सुनवाई के दिन लिया जायेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राज्य के सरकारी कर्मचारी गदगद हैं और उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि डीए भीख नहीं, बल्कि हमारा अधिकार है. कितने सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा डीए : सूत्रों के अनुसार, इस डीए का लाभ करीब 10 लाख राज्य के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को मिलेगा. इनमें करीब 6.5 लाख मौजूदा कार्यरत कर्मचारी व लगभग साढ़े तीन लाख पेंशन लाभार्थी शामिल हैं. बताया गया है कि वर्तमान में केंद्र और राज्यों के बीच महंगाई भत्ते का अंतर 37 प्रतिशत है. हालांकि, राज्य सचिवालय का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का डीए में अंतर से कोई लेना-देना नहीं है.

क्या कहना है सरकारी कर्मचारियों के संगठनों का : इस आदेश के बाद राज्य सरकार कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कभी भी डीए के खिलाफ नहीं थीं. उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिसका लाभ कर्मचारियों को मिला है. उन्होंने कहा कि इस फैसले की प्रति प्राप्त करने के बाद ही वह अधिक जानकारी देंगे.

सरकारी कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी मलय मुखर्जी ने कहा कि एक जुलाई 2009 से एक जनवरी 2019 तक की अवधि के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) के अनुसार महंगाई भत्ता नहीं दिया गया और यही बकाया है. उदाहरण के लिए, वाममोरचा सरकार के दौरान, एक जुलाई 2009 को जो छह प्रतिशत डीए दिया जाना था, वह दिसंबर में दिया गया था. यानी पांच महीने बाद दिया गया. इसके बाद अगला सात महीने बाद दिया गया और फिर 11 महीने बाद मिला. उन्होंने आगे कहा कि वाममोर्चा सरकार के जाने के बाद तृणमूल सरकार सत्ता में आयी. उस समय उपभोक्ता खरीद सूचकांक के अनुसार पहले 18 महीने तक महंगाई भत्ता नहीं बढ़ाया गया. हालांकि, इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने समय-समय पर महंगाई भत्ता तो बढ़ाया, लेकिन बकाया डीए का भुगतान नहीं किया गया. राज्य सरकार को अब उन सभी बकाया का भुगतान करना होगा.

सरकारी कर्मचारियों का कुल 41,770 करोड़ रुपये डीए बकाया : राज्य के सरकारी कर्मचारियों को 1980-81 से केंद्र सरकार की दर पर महंगाई भत्ता मिल रहा था, लेकिन 2009 से केंद्र व राज्य के बीच डीए का अंतर बढ़ने लगा और तब से इनका डीए बकाया है. दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गयी जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार के कर्मचारियों को डीए के रूप में कुल 41,770 करोड़ रुपये बकाया है. अगर इसमें 2023, 2024 और 2025 के बकाया डीए की राशि जोड़ी गयी तो यह संख्या और भी अधिक हो जायेगी. यदि दिसंबर 2022 में दी गयी जानकारी को ही मान लिया जाये तो बकाया डीए के 25 प्रतिशत राशि का मतलब है, लगभग 10,450 करोड़ रुपये, जिसका भुगतान राज्य सरकार को तीन महीने के अंदर करना है.

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