कोलकाता. पश्चिम बंगाल सरकार के परिवहन विभाग ने पर्यावरण अनुकूल वाहनों का सपना लेकर करीब सात साल पहले कोलकाता में पहली बार इलेक्ट्रिक बसों का परिचालन शुरू किया था. परिवहन विभाग का उद्देश्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना यात्रियों के लिए परिवहन की व्यवस्था करना था. हालांकि, ई-बसों के कारण राज्य के परिवहन विभाग को काफी नुकसान हो रहा है. इसलिए राज्य सरकार अब कोई नयी ई-बस नहीं खरीदेगा. हाल ही में नबान्न में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इस फैसले पर मुहर लगाई गई. वर्तमान में, पश्चिम बंगाल परिवहन निगम के तहत विभिन्न सरकारी डिपो में 80 इलेक्ट्रिक बसें हैं और प्रत्येक की कीमत 95 लाख रुपये से 1.30 करोड़ रुपये के बीच है.
बस निर्माण कंपनी ने दावा किया कि बसें एक बार फुल चार्ज होने पर 100-110 किमी तक चल सकती हैं और कम से कम 12 साल तक यात्रियों को ले जाने में सक्षम हैं. हालांकि, हकीकत में देखा गया है कि बहुत कम समय में बैटरी की क्षमता कम हो गयी है और माइलेज 70-80 किमी तक कम हो गयी. प्रत्येक ई-बस में तीन बैटरियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक की कीमत करीब 18 लाख रुपये होती है और अगर बैटरी कमजोर हो तो बस व्यावहारिक रूप से बेकार हो जाती है. इसलिए राज्य सरकार आर्थिक दबाव के सामने इतनी महंगी व्यवस्था को खींचने को तैयार नहीं है.
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