कोलकाता. गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसइ) लिमिटेड ने भारतीय नौसेना के ‘प्रोजेक्ट 17ए’ के अंतर्गत निर्मित प्रथम निर्देशित प्रक्षेपास्त्र युद्धपोत ‘हिमगिरि’ को गुरुवार को नौसेना को सौंप कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की है. हिमगिरि, जोकि जीआरएसइ द्वारा बनाये जा रहे तीन युद्धपोतों में पहला है, इससे नौसेना में सम्मिलित होने से निर्देशित प्रक्षेपास्त्र युद्धपोत क्षमताओं को महत्वपूर्ण बल मिला है. यह पोत जीआरएसइ द्वारा निर्मित 801वां पोत है, जिनमें से 112 युद्धपोत हैं. बताया गया है कि 149 मीटर लंबा व 6,670 टन वजनी यह युद्धपोत जीआरएसइ के 65 वर्षों के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा व अत्याधुनिक निर्देशित प्रक्षेपास्त्र युद्धपोत है. तीनों युद्धपोतों की कुल अनुमानित लागत 21,833.36 करोड़ रुपये है. इससे रोजगार के अवसरों का भी सृजन हुआ है, जो देश की पोत निर्माण प्रणाली को सशक्त करता है. यह सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के उद्देश्य को भी साकार करता है, जो स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने व स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सशक्त बनाने के लिए है. बताया गया है कि ‘हिमगिरि’ में 225 कर्मियों के लिए सुसज्जित व आरामदायक आवास की व्यवस्था है और यह पोत हेलीकॉप्टर संचालन के लिए पूर्ण विमानन सुविधाएं भी प्रदान करता है. वर्तमान में जीआरएसइ भारतीय नौसेना के लिए चार भिन्न श्रेणियों के 15 युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है. इनमें ‘अंद्रोत’, जो दूसरी पनडुब्बी रोधी जल पृष्ठीय युद्धपोत है व ‘इक्षाक’, जो तीसरा बड़े सर्वेक्षण पोत श्रेणी का पोत है, के संविदात्मक समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुके हैं और इन्हें शीघ्र सौंपा जायेगा. शेष 13 युद्धपोत निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं, जो जीआरएसइ की सुदृढ़ निर्माण क्षमता व समयबद्ध वितरण की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं. इसके अतिरिक्त, जीआरएसइ भारतीय नौसेना द्वारा प्रस्तावित अगली पीढ़ी के कॉर्वेट युद्धपोतों के निर्माण के लिए सबसे न्यूनतम मूल्यदाता के रूप में उभरा है और शीघ्र ही पांच ऐसे युद्धपोतों के निर्माण के लिए अनुबंध पूर्ण होने की संभावना है.
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