कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट 16 जुलाई को उन बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें ओडिशा और दिल्ली में पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों की कथित अवैध हिरासत का आरोप लगाया गया है. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋतोब्रतो कुमार मित्रा की खंडपीठ इस समय इन मजदूरों की कानूनी स्थिति और उनकी मौजूदा स्थिति की जांच कर रही है. पिछले सप्ताह हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले में कथित तौर पर हिरासत में लिये गये दो मजदूर साइनुर इस्लाम और रकीबुल इस्लाम अब अपने घर लौट चुके हैं. इन दोनों के परिजनों ने पहले याचिकाएं दायर कर दावा किया था कि ओडिशा पुलिस ने उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया है या वे लापता हैं. 11 जुलाई को हाइकोर्ट ने ओडिशा सरकार को निर्देश दिया था कि वह सभी दस्तावेज पेश करे, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि ये दोनों व्यक्ति हिरासत में हैं या लापता. साथ ही, पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को भी निर्देश दिया गया था कि वह ओडिशा के अपने समकक्ष के साथ समन्वय स्थापित करें और अदालत के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें.
कोर्ट इसी तरह की अन्य बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही है, जिनमें दावा किया गया है कि दिल्ली में भी पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है.
शुक्रवार को, अदालत ने दिल्ली प्रशासन को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि संबंधित व्यक्तियों को वास्तव में हिरासत में लिया गया है या नहीं. वर्चुअल सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने ओडिशा में अन्य प्रवासी मजदूरों की कथित हिरासत का मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन पीठ ने उन्हें केवल अपने संबंधित मुवक्किलों के मामलों तक ही अपनी दलीलें सीमित रखने को कहा.
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