कोलकाता.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए पश्चिम बंगाल के दंगा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती अगले आदेश तक जारी रखने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित की है. यह फैसला विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें मुर्शिदाबाद में स्थिति नियंत्रण के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती और हिंसा से जुड़े मामलों को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआइए) को सौंपने की मांग की गयी थी. उच्च न्यायालय ने पहले 12 अप्रैल को सांप्रदायिक हिंसा के बाद जिले में सीएपीएफ तैनात करने का आदेश दिया था. वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों में कम से कम तीन लोगों की जान चली गयी थी और इस हिंसा के संबंध में लगभग 300 गिरफ्तारियां हुई हैं.सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य में पुलिसकर्मियों की कमी पर चिंता जतायी. न्यायाधीश सेन ने राज्य के वकील कल्याण बनर्जी से कहा कि मुर्शिदाबाद में पुलिसकर्मियों की भारी कमी है और पर्याप्त संख्या में अधिकारी होने पर स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता था. इसके जवाब में बनर्जी ने पूरे देश में सुरक्षा बलों की कमी का हवाला दिया. हालांकि, न्यायाधीश सेन ने जोर दिया कि प्रत्येक स्थान पर न्यूनतम सुरक्षा बल होना आवश्यक है.केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि यदि आदेश दिया जाता है, तो एनआइए जांच अपने हाथ में लेने के लिए तैयार है. केंद्र ने अपनी रिपोर्ट में राज्य के कम से कम 15 स्थानों पर अशांति की आशंका जतायी है और राज्य के मुख्य सचिव और डीजी को 18 अप्रैल को केंद्र सरकार की संपत्ति पर हमले की धमकी के बारे में सूचित किया गया था. इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती जारी रखने का आदेश दिया.
हालांकि, इसी खंडपीठ ने मुर्शिदाबाद हिंसा के दौरान मारे गये हरगोविंद दास और चंदन दास की हत्या के मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया. खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि पुलिस की निष्क्रियता या अति सक्रियता के आरोपों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए पहले से ही एक विशेष पीठ गठित है, इसलिए यह खंडपीठ इस मामले की सुनवाई नहीं करेगी. उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष पहले ही इस मामले से खुद को अलग कर चुके हैं. अब यह मामला मुख्य न्यायाधीश के पास वापस जाएगा, जो सुनवाई के लिए एक नयी पीठ का गठन करेंगे. पीड़ित परिवार ने इस घटना की सीबीआइ जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है