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हाइकोर्ट ने जुर्माना लगाने के फैसले को सही ठहराया

मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने कहा कि 134 प्रतिशत अतिरिक्त वजन कोई छोटी गलती नहीं है.

व्यवसायी को भरना होगा जुर्मनाअदालत ने कहा : 134 प्रतिशत अधिक वजन कोई छोटी गलती नहीं, आरोप गंभीर

कोलकाता. नेताजी एक्सप्रेस में आठ मीट्रिक टन माल लोड किया गया था. ड्राइवर को ट्रेन चलाने में परेशानी हुई थी. रेलवे की ओर से इसे लेकर जुर्माना लगाया था. इसके बाद यह मामला कलकत्ता हाइकोर्ट में पहुंचा था. मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने कहा कि 134 प्रतिशत अतिरिक्त वजन कोई छोटी गलती नहीं है.

यह गंभीर आरोप है. अगर ट्रेन की गति अनियंत्रित होती, तो कभी भी दुर्घटना हो सकती थी. रेलवे ने नियमों का उल्लंघन करने पर व्यवसायी से नौ लाख रुपये का जुर्माना भरने को कहा. कलकत्ता हाइकोर्ट ने कहा कि अदालत फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है. न्यायाधीश ने आदेश दिया कि व्यवसायी को जुर्माना भरना होगा.

क्या है मामला

यह घटना वर्ष 2023 में हुई थी. मोहम्मद साबिर नामक व्यवसायी ने हावड़ा से कालका तक चलने वाली नेताजी एक्सप्रेस (पूर्व में कालका मेल) के पार्सल डिब्बे का एक हिस्सा दो साल के लिए लीज पर लिया था. समझौते के अनुसार वह उस ट्रेन में व्यवसायिक सामान ले जा सकता था. व्यवसायी को प्रति यात्रा 42,300 रुपये चुकाने होंगे. पैसेंजर एक्सप्रेस ट्रेनों के नियमों के मुताबिक पार्सल वैन में अधिकतम चार मीट्रिक टन (4000 किलोग्राम) माल ले जाया जा सकता है. अगर अधिक वजन पाया गया, तो व्यवसायी को जुर्माना देना होगा.

ट्रेन 10 अगस्त 2023 को रात 10 बजे हावड़ा स्टेशन से रवाना हुई थी. रेलवे का दावा है कि अगले दिन शक होने पर ड्राइवर ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन पर ट्रेन रोकी और माल का वजन किया. तब पता चला कि उस डिब्बे में निर्धारित वजन से दोगुना से अधिक माल था. वजन करने पर 8344 किलोग्राम माल पाया गया. अतिरिक्त वजन को ट्रेन से उतार लिया गया. इसके बाद ट्रेन ने फिर से अपनी यात्रा शुरू की. पता चला है कि उस दिन ट्रेन की गति नहीं बढ़ रही थी. ट्रेन निर्धारित गति से चल रही थी, लेकिन बार-बार गति कम हो रही थी. रेलवे अधिकारियों ने व्यवसायी पर ओवरलोड माल होने के कारण नौ लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. व्यवसायी उनके फैसले के खिलाफ कलकत्ता हाइकोर्ट गया था. न्यायाधीश पार्थसारथी चटर्जी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रेलवे के फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा. व्यवसायी को जुर्माना भरना होगा. हाइकोर्ट ने फैसला सुनाया कि यदि रेलवे कानून के अनुसार अतिरिक्त वजन पांच प्रतिशत होता, तो व्यवसायी को तीन मौके दिये जाते. इस मामले में वजन दोगुने से भी अधिक था, इसलिए कोर्ट का मानना है कि रेलवे अधिकारियों का फैसला सही है. व्यवसायी की अर्जी खारिज कर दी गयी.

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