कोलकाता. राज्य श्रम विभाग ने बुधवार को एक ऐतिहासिक निर्णय में 40 जूट मिलों के लगभग 15,000 अस्थायी श्रमिकों को स्पेशल बदली और स्थायी श्रमिक के रूप में पदोन्नत करने की घोषणा की. यह निर्णय त्रिपक्षीय औद्योगिक समझौता के अंतर्गत वर्षों से लंबित मांग के समाधान के रूप में लागू किया गया है. बैठक की अध्यक्षता राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक ने की, जिसमें प्रमुख श्रमिक संगठनों, इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आइजेएमए) और श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया. सभी पक्षों ने श्रम मंत्री मलय घटक की भूमिका की सराहना की, जिनके प्रयासों से तीन दशक पुरानी पदोन्नति की मांग का समाधान संभव हो सका. किस आधार पर मिलेगा प्रमोशन
बताया गया है कि प्रमोशन की पात्रता के लिए निर्धारित मानदंड में 15 से 20 वर्षों की सेवा अनिवार्य होगी. साथ ही वर्ष 2021 से 2025 के बीच हर वर्ष 70 प्रतिशत उपस्थिति होनी चाहिए. इस मानदंड को बैठक के दौरान विशेष व्यवस्था के तहत स्वीकार किया गया. कुछ यूनियनों ने अपने सुझाव दिये, लेकिन सभी ने इस पहल का स्वागत किया और मंत्री द्वारा लंबित मुद्दों को भविष्य में सुलझाने के आश्वासन पर सहमति जतायी.
आइजेएमए ने समझौते को लागू नहीं करने वालीं मिलों का लाइसेंस रद्द करने की मांग की: बैठक में आइजेएमए ने उन मिलों पर चिंता जतायी, जिसने अभी तक इस समझौते को लागू नहीं किया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए,
आइजेएमए ने श्रम मंत्री से ऐसी मिलों के फैक्टरी लाइसेंस रद्द करने की मांग की. श्रम मंत्रालय ने जूट आयुक्त कार्यालय (जेसीओ) से भी ऐसे दोषी मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है, खासकर उन मिलों के लिए जो जीबीटी कोटा प्राप्त कर रही हैं, लेकिन जिनका लाइसेंस वैध नहीं है. सूत्रों के अनुसार, श्रम विभाग शीघ्र ही कार्यान्वयन तंत्र तैयार कर सकता है, ताकि यह स्पष्ट संदेश जाये कि त्रिपक्षीय समझौते बाध्यकारी हैं और उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.
इस फैसले का बैरकपुर के आइएनटीटीयूसी के जिला अध्यक्ष व जगदल के तृणमूल विधायक सोमनाथ श्याम ने कहा कि 30 वर्ष बाद जूट मिल श्रमिकों को उनका अधिकार मिलने जा रहा है और ऐसा राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कुशल नेतृत्व के कारण संभव हो पाया है. उन्होंने कहा कि 1984 में 19/20 नियम के आधार पर श्रमिकों को परमानेंट किया गया था. इसके बाद से यह प्रक्रिया बंद थी. श्री श्याम ने कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया था और श्रमिकों को परमानेंट करने की मांग करते हुए श्रम मंत्री के समक्ष सुझाव पेश किया था. उन्होंने कहा कि इसे लेकर उन्होंने कई बार श्रम मंत्री व विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर अपनी प्रस्ताव के बारे में पूरी जानकारी दी. इस कार्य में वामपंथी विचारधारा के लोगों व कई मिल मालिकों ने इसका विरोध किया था. लेकिन वे अपनी बातों को बेहतर तरीके से रखने में सफल हुए, जिसकी वजह से आज इस फैसले पर मुहर लगी. श्री श्याम ने कहा कि इस फैसले से जूट मिलों में कार्य कर रहे 15 हजार श्रमिकों को लाभ मिलेगा.
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