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एचएस: सेमेस्टर-तीन की परीक्षाएं आठ सितंबर से

पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद (एचएस काउंसिल) की सेमेस्टर-तीन की परीक्षाएं आठ से 22 सितंबर तक आयोजित होंगी.

संवाददाता, कोलकाता

पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद (एचएस काउंसिल) की सेमेस्टर-तीन की परीक्षाएं आठ से 22 सितंबर तक आयोजित होंगी. परिषद की ओर से यह जानकारी दी गयी है. ये परीक्षाएं माॅनसून के चरम समय में होंगी. ऐसे में सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर काउंसिल ने विशेष तैयारियां की हैं.

इस बार परीक्षाएं बहुविकल्पीय (एमसीक्यू) प्रारूप में होंगी. उत्तर ओएमआर शीट पर दर्ज किये जायेंगे. ओएमआर शीट के सुरक्षित संग्रहण और परिवहन के लिए काउंसिल प्रत्येक परीक्षा केंद्र को स्वयं चिपकने वाली पट्टियों वाले अपारदर्शी पॉली पाउच उपलब्ध करायेगी. थोड़ी-सी क्षति भी ओएमआर शीट को अपठनीय बना सकती है, इसलिए अत्यधिक सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है. काउंसिल ने यह भी चेतावनी दी है कि परीक्षा अवधि के दौरान राज्य के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा, बाढ़ या भूस्खलन जैसी स्थितियां बन सकती हैं. ऐसे में छात्रों, अभिभावकों और परीक्षा कर्मियों से सतर्कता बरतने की अपील की गयी है. किसी आपदा की स्थिति में सभी को सरकारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना होगा.एचएस परीक्षा: प्राथमिक शिक्षक बन सकेंगे पर्यवेक्षक

एचएस काउंसिल ने इस वर्ष तीसरे सेमेस्टर की परीक्षाओं के लिए अहम बदलाव की घोषणा की है. यह पहली बार है कि प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के स्थायी शिक्षक भी एचएस परीक्षाओं में पर्यवेक्षक (इनविजीलेटर) नियुक्त किये जायेंगे.काउंसिल के अनुसार, यह निर्णय शिक्षकों की कमी को दूर करने और परीक्षा प्रक्रिया को निर्बाध रूप से संचालित करने के उद्देश्य से लिया गया है. अभी एचएस विद्यालयों के शिक्षकों को ही पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी जाती थी.

लेकिन इस वर्ष यह परंपरा टूटेगी.

इस बार परीक्षाएं क्यूएमआर शीट पर आयोजित की जायेंगी, जो परीक्षा प्रणाली में एक नया तकनीकी बदलाव होगा. अधिकारियों ने बताया कि कई परीक्षा केंद्रों पर पर्यवेक्षक शिक्षकों की पर्याप्त संख्या नहीं थी, जिससे समय पर और व्यवस्थित परीक्षा संचालन में परेशानी आ सकती थी. इस समस्या को देखते हुए काउंसिल ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को भी इस कार्य में शामिल करने का निर्णय लिया.

काउंसिल के अनुसार, यह एक अभूतपूर्व और निर्णायक कदम है, जिससे परीक्षा प्रक्रिया अधिक सुचारू, सुरक्षित और सुदृढ़ होगी. छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए परीक्षा प्रणाली में कई अन्य सुधार भी किये गये हैं. इस नयी व्यवस्था से शिक्षा व्यवस्था में लचीलापन आयेगा और भविष्य में ऐसी समस्याओं का समाधान निकालना आसान होगा.

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