पद से हटाये जाने की अटकलों को सीवी आनंद बोस ने किया खारिज, बोले- नयी ऊर्जा के साथ काम करूंगाएजेंसियां, कोलकाता
राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने पद से हटाये जाने की अटकलों को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि वह राज्य की ‘खोई हुई प्रतिष्ठा’ को बहाल करने और इसे हिंसा मुक्त बनाने के अपने प्रयास में नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे. हृदय संबंधी समस्या के कारण लगभग एक महीने तक अस्पताल में रहने के बाद 29 मई को राजभवन में पुन: कार्यभार संभालने वाले बोस ने कहा कि वह विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्द की भावना को वापस लाने के लिए जल्द ही राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करना शुरू करेंगे, जिनमें मुर्शिदाबाद और मालदा के हिंसा प्रभावित क्षेत्र शामिल हैं.उन्होंने कहा: बंगाल ने मुझे नया जीवन दिया है. मैं गांवों में जाकर विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारा और दोस्ती स्थापित करने के लिए काम करूंगा तथा हिंसा के खिलाफ लड़ूंगा. मेरे पास करने के लिए बहुत काम है. बोस (74) ने स्वीकार किया कि वह इस तरह (पद से हटने) की अटकलों से ‘थोड़ा परेशान’ थे, लेकिन ‘दिल्ली में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों’ ने उन्हें इन पर ध्यान न देने की सलाह दी है. उन्होंने कहा: चूंकि आपने सवाल (पद से हटाये जाने के बारे में) पूछा है, इसलिए मैं आपको बता सकता हूं कि मुझे दिल्ली में जिम्मेदार लोगों से फोन आया है. उन्होंने मुझसे ऐसी अफवाहों को पूरी तरह से नजरअंदाज करने और अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए कहा है. मुझे यहां शुरू किए गए मिशन में पूरी ताकत से जुटने के लिए कहा गया है.’ राज्यपाल ने कहा: मेरा मिशन बंगाल के लोगों के बीच अधिक से अधिक जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करना होगा. मेरा उद्देश्य हिंसा मुक्त बंगाल की स्थापना के लिए अथक प्रयास करना है.
बोस ने कहा कि अब वह बिलकुल ठीक महसूस कर रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें कुछ दिन तक काम के बोझ से मुक्त रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा: डॉक्टरों ने मुझे धीमी गति से काम करने के लिए कहा है, लेकिन यह केवल कुछ दिनों के लिए है. मैं हर दिन 20 घंटे काम करता था. पहले भी, जब मेरे पास इतना महत्वपूर्ण काम नहीं था, तो मैं लगभग 16 घंटे काम करता था. यह मेरे स्वभाव के लिए कोई नयी बात नहीं है. पश्चिम बंगाल की मौजूदा स्थिति के अपने मूल्यांकन पर बोस ने कहा कि हिंसा और भ्रष्टाचार की घटनाओं के कारण राज्य का बौद्धिक कद घट गया है. उन्होंने कहा, ‘बंगाल एक महान राज्य है जिसका समाज बेहद सभ्य है. यह संस्कृति और उसके मूल्यों की परवाह करता है. यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि बंगाल आज जो सोचता है, भारत कल वही सोचता है. दुर्भाग्य से, पिछले कुछ दशकों में हिंसा और भ्रष्टाचार के कारण बंगाल बौद्धिक प्रभुत्व के अपने स्तर से गिर गया है. बोस ने कहा, ‘‘और, हिंसा अब भी जारी है. मैं हिंसा को किसी विशेष सरकार से जुड़ी हुई चीज के रूप में नहीं देखता. जब चुनाव आते हैं, तो पार्टियां राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए हिंसा का इस्तेमाल करती हैं.’’अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर बोस ने कहा कि वह निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए हरसंभव कदम उठायेंगे. यह कहे जाने पर कि पश्चिम बंगाल सरकार “राज्य विधानमंडल के पारित विधेयकों को राज्यपाल द्वारा रोककर रखने” से संबंधित एक संविधान संशोधन पेश करने की योजना बना रही है, बोस ने कहा कि राष्ट्रपति को भेजे गए विधेयकों के अलावा राजभवन में एक भी विधेयक लंबित नहीं है. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए बोस ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में न्याय होगा. राज्यपाल ने कहा, ‘‘आंदोलन लोकतंत्र का हिस्सा है. जब अदालत हस्तक्षेप करती है, तो हम सभी को उम्मीद करनी चाहिए कि न्याय होगा. मुझे यकीन है कि संबंधित लोग यह सुनिश्चित करने के लिए सभीतरीकों का इस्तेमाल करेंगे कि इस मुद्दे का उचित तरीके से निपटारा हो.’’
बोले राज्यपाल- मुर्शिदाबाद व मालदा की घटनाएं परेशान करने वाली थीं
बोस ने कहा कि अप्रैल में वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में हुई हिंसा की घटनाओं ने उन्हें बहुत परेशान कर दिया था. राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं द्वारा सुनाई गयीं कहानियां इतनी परेशान करने वाली थीं कि वे किसी भी सभ्य दिमाग को हिला देंगी. लोगों को चुपचाप सहना पड़ा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है