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बाहरी ताकतों के प्रयासों के बावजूद भारत एकजुट : अभिषेक

अभिषेक ने गुरुवार को ''एक्स' पर अपने पोस्ट लिखा : जकार्ता में मुझे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को स्पष्ट करने के लिए वक्तव्य रखने का मौका मिला.

कोलकाता. आतंकवाद पर वैश्विक मंच में भारत का पक्ष रखने के लिए सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने जकार्ता में अपने संबोधन में स्पष्ट रूप से कहा कि बाहरी ताकतों द्वारा हमें (भारतीयों को) विभाजित करने के प्रयासों के बावजूद हमारा देश एकजुट है. अभिषेक ने गुरुवार को ””एक्स” पर अपने पोस्ट लिखा : जकार्ता में मुझे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को स्पष्ट करने के लिए वक्तव्य रखने का मौका मिला. मैंने आतंकवाद और उसके सहयोगियों का सामना करने के लिए हमारे राष्ट्र के एकजुट संकल्प को दोहराया और उग्रवाद को बढ़ावा देने वालों को अलग-थलग करने के लिए सामूहिक एकजुटता व वैश्विक कार्रवाई का आग्रह किया. भारत ने हमेशा शांति को चुना है, लेकिन न्याय की कीमत पर नहीं. उन्होंने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि पहलगाम हमला न केवल निर्दोष लोगों पर हमला था, बल्कि यह मानवता का अपमान था. आतंकवाद किसी सीमा का सम्मान नहीं करता. हमें इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए. मैं इंडोनेशिया में अपने मेजबानों को इस साझा उद्देश्य में उनकी गर्मजोशी और एकजुटता के लिए धन्यवाद देता हूं. अपने संबोधन में बनर्जी ने यह भी कहा कि हम सभी आतंकवाद से निपटने के तरीके का संदेश साझा करने और 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भयानक हमले में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करने के लिए जकार्ता आये हैं. हम अपने रुख में स्पष्ट हैं. बाहरी ताकतों द्वारा हमें विभाजित करने के प्रयासों के बावजूद, हमारा देश एकजुट है.

उन्होंने भारत की दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) से ताल्लुक रखने का जिक्र करते हुए कहा : मैं भारत की दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी से ताल्लुक रखता हूं, जिसके दोनों सदनों में 42 सांसद हैं. हम अपने दृष्टिकोण में बहुत स्पष्ट हैं. भले ही सत्तारूढ़ सरकार के साथ हमारे मतभेद हों, लेकिन जब राष्ट्रीय हितों और राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा की बात आती है, तो हम हमेशा देश के सर्वोत्तम हित में काम करेंगे. बनर्जी ने भारत को महात्मा गांधी, गौतम बुद्ध, रवींद्रनाथ टैगोर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भूमि बताते हुए कहा कि हम एक शांतिप्रिय राष्ट्र हैं. हम युद्ध या हिंसा के बारे में बात करने में हमेशा सबसे पीछे रहते हैं. हमने अपने पड़ोसी के प्रति बहुत विनम्रता और अनुग्रह दिखाया है. हर रिश्ता विश्वास, प्रेम और आस्था पर निर्भर करता है. अगर मैं किसी को आमंत्रित करता हूं और फिर दुश्मनी करता हूं, तो वह विश्वास, प्रेम या आस्था अनिवार्य रूप से बिगड़ेगी. उन्होंने कहा कि ठीक यही बात पिछले पांच-छह दशकों से भारत और पाकिस्तान के बीच हो रही है. उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने एक ही वर्ष में स्वतंत्रता प्राप्त की. इसके बावजूद भारत बहुत आगे है. हमारी अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान ने जानबूझकर पहलगाम में हमला करवाया.

बनर्जी ने अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि हमने जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर का दौरा किया और विभिन्न प्रमुख हितधारकों से मुलाकात की. सभी ने इस बात पर सहमति जतायी कि हमें आतंकवाद का मिलकर मुकाबला करना चाहिए. यह केवल भारत का मुद्दा नहीं है. यह वैश्विक अनिवार्यता बन चुका है.

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