कोलकाता.
राज्य की पर्यावरण मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन प्रश्नोत्तर काल में मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में नमामि गंगे परियोजना के क्रियान्वयन के लिए कुल खर्च का एक-तिहाई हिस्सा अभी भी नहीं मिला है, जबकि परियोजना को इसी वर्ष दिसंबर तक पूरा करना है. बता दें कि तृणमूल के विधायक समीर कुमार जाना द्वारा पूछे गये एक सवाल के जवाब में मंत्री ने सदन को यह जानकारी दी. इस दौरान चंद्रिमा ने बताया कि राज्य सरकार 2018 में नमामि गंगे परियोजना के तहत काम करना शुरू किया. ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार इसे सितंबर 2025 तक पूरा करना होगा. हालांकि, 1293.44 करोड़ रुपये के कुल व्यय में से केंद्र ने राज्य सरकार को 817.27 करोड़ ही अब तक सौंपे हैं, इसलिए केंद्र के हिस्से का एक-तिहाई हिस्सा अब तक नहीं मिला है. हमें नहीं पता कि शेष 475 करोड़ रुपये कब केंद्र से मिलेंगे. हालांकि, हमारे पास परियोजना को पूरा करने के लिए तीन महीने से कुछ अधिक समय बचा है. मंत्री ने सदन को बताया कि परियोजना के तहत फरक्का (मुर्शिदाबाद) से डायमंड हार्बर (दक्षिण 24 परगना) तक 15 जगहों पर नदी के पानी की गुणवत्ता की जांच, 56 सीवरेज नालों की स्थापना, 47 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और कोलकाता नगर निगम क्षेत्र में टॉली नाले का पुनरुद्धार शामिल है. फरक्का से डायमंड हार्बर तक नदी के किनारे का विकास, जिसमें घाटों का पुनरुद्धार और श्मशान घाटों में इलेक्ट्रिक भट्ठियां शामिल हैं, जो परियोजना का हिस्सा हैं. श्रीमती भट्टाचार्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस परियोजना के तहत प्रयोगशालाएं व जल परीक्षण आदि के लिए मशीनरी खरीदी है. इसने इन प्रयोगशालाओं के संचालन के लिए जनशक्ति भी जुटायी है. वर्तमान में, बोर्ड की दो ऐसी प्रयोगशालाएं हैं- एक साॅल्टलेक-बेलियाघाटा कनेक्टर और दूसरी बैरकपुर में स्थित है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है