संवाददाता, कोलकाता.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपनी नौकरी से हाथ धो चुके शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं. योग्य शिक्षा बेरोजगार मंच के सदस्य पिछले 14 दिनों से विकास भवन के सामने धरना दे रहे हैं. इन शिक्षकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को खुला पत्र लिखकर उनसे मुलाकात और चर्चा की मांग की है. संगठन की सदस्य संगीता साहा ने बताया कि सोमवार को उन्होंने ईमेल के जरिए पत्र भेजा था, लेकिन कोई जवाब न मिलने पर मंगलवार को दोबारा खुला पत्र भेजा गया है. वे इस बात पर चर्चा करना चाहते हैं कि बिना दोबारा परीक्षा दिए उन्हें नौकरी में कैसे बरकरार रखा जाए. सिलीगुड़ी की निवासी और आंदोलनकारी अपर्णा विश्वास 17 मई से अपनी साढ़े चार साल की बेटी के साथ विकास भवन के सामने धरना दे रही हैं. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सरकार हमसे बात करे. हमारी समस्या सुनी नहीं जा रही है, इसीलिए हमने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को खुला पत्र लिखा है.” आंदोलनकारियों की मुख्य मांग है कि राज्य सरकार उन्हें बिना किसी नयी परीक्षा के उनके पुराने पदों पर बहाल करे. वे जोर देकर कहते हैं कि वे 15,403 नौकरियों की वापसी चाहते हैं और दोबारा परीक्षा नहीं देंगे, क्योंकि वे पहले ही यह प्रक्रिया पूरी कर चुके हैं.
दूसरी ओर, शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने सोमवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल अप्रशिक्षित शिक्षक संघ नामक एक संगठन सरकार की कानूनी लड़ाई का समर्थन कर रहा है, जिसमें लगभग 2,500 शिक्षक शामिल हैं. इस पर संगीता साहा ने पलटवार करते हुए कहा कि 2,500 की संख्या से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वे 15,403 नौकरियों की वापसी की मांग कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल अप्रशिक्षित शिक्षक संघ के एक सदस्य ने स्वीकार किया कि वे भी परीक्षा देने के पक्ष में नहीं हैं और सरकार से मदद चाहते हैं. उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि पैनल में सभी योग्य लोगों की नौकरियां बची रहें. हम समीक्षा में सरकार की मदद मांग रहे हैं.” हालांकि, बाद में संगठन के सदस्यों ने स्पष्ट किया कि शिक्षा मंत्री को लिखे उनके पत्र को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनका संगठन 13,000 से अधिक शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है और उनमें कोई भी अयोग्य व्यक्ति नहीं है.
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