संवाददाता, कोलकाता
तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष को कोर्ट की अवमानना मामले में राहत मिली है. सोमवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि अब उन्हें नियमित रूप से अदालत में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है. यदि जरूरत पड़ी, तो उन्हें बुलाया जायेगा.
यह मामला हाइकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ के समक्ष सुना गया. सुनवाई के दौरान कुणाल घोष स्वयं अदालत में उपस्थित थे. उनके नाम पर एक हलफनामा अदालत में दाखिल किया गया. उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय ने पैरवी की. उनके साथ अधिवक्ता अयन चक्रवर्ती और राहुल मिश्रा भी मौजूद थे.
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कल्याण बंद्योपाध्याय ने तर्क दिया कि यह मामला स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज किया गया है, जो विधिसम्मत नहीं है. उन्होंने कहा कि चूंकि मुख्य न्यायाधीश ने कोई रूल जारी नहीं किया है, अतः यह विशेष पीठ अवमानना का नियम जारी करने के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती.
गौरतलब है कि यह अवमानना का मामला स्कूल सेवा आयोग (एसएलएसटी) की शारीरिक शिक्षा और कार्य शिक्षा विषयों के अभ्यर्थियों द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट परिसर में किये गये एक विवादित प्रदर्शन से जुड़ा है. इस प्रदर्शन को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए यह मामला शुरू हुआ था.
सुनवाई के बाद कुणाल घोष ने कहा कि यह मामला वामपंथी, भाजपा और कांग्रेस समर्थक वकीलों की कोशिशों से उत्पन्न हुआ. उन्होंने कहा कि “मैंने अदालत का हमेशा सम्मान किया है और सभी आदेशों का पालन किया है. अब माननीय पीठ ने मुझे व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी है.”
मामले की अगली सुनवाई आगामी सोमवार, 30 जून को होगी.
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