कोलकाता
. राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए आरक्षण का दुरुपयोग कर रही है. उन्होंने दावा किया कि तृणमूल सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के ””आर्थिक रूप से कमजोर लोगों”” के लिए आरक्षण की नीतियों का मुसलमानों को खुश करने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए विधानसभा परिसर में मिठाइयां वितरित की.सॉल्टलेक स्थित राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन : इसके साथ ही राज्य सरकार की नयी ओबीसी आरक्षण सूची के खिलाफ भाजपा के ओबीसी मोर्चा की ओर से सॉल्टलेक स्थित राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया, जहां विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी, राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य सहित अन्य नेता उपस्थित हुए.साॅल्टलेक में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) संघ की एक सभा में श्री अधिकारी ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार नंदीग्राम भूमि आंदोलन के बाद वाममोर्चा द्वारा शुरू की गयी ””””वोट बैंक की राजनीति”””” को जारी रखे हुए है, जिसका उद्देश्य मुसलमानों का समर्थन हासिल करना है.
उन्होंने कहा : नंदीग्राम भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के बाद वाम दलों ने बंगाल में मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के लिए वोट बैंक की राजनीति शुरू की थी और अब तृणमूल इसे आगे बढ़ा रही है. मई 2024 में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य में 2010 से कई वर्गों को दिये गये ओबीसी दर्जे को रद्द कर दिया था.अदालत ने राज्य सेवाओं और रिक्त पदों के लिए इन आरक्षणों को अवैध पाया. अदालत ने अप्रैल से सितंबर 2010 के बीच 77 वर्गों को दिये गये आरक्षण और 2012 के राज्य आरक्षण अधिनियम के तहत पेश किये गये 37 और आरक्षणों को रद्द कर दिया था. मई 2011 तक पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाला वाम मोर्चा सत्ता में था और उसके बाद तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी थी. श्री अधिकारी ने दावा किया कि एक के बाद एक सत्ताधारी दलों की वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्य में लोकतंत्र कमजोर होता जा रहा है.
गौरतलब है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों के तहत 140 उपवर्गों को आरक्षण देने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाओं पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया. अदालत ने 31 जुलाई तक अंतरिम रोक लगाते हुए निर्देश दिया कि राज्य सरकार द्वारा आठ मई से 13 जून के बीच ओबीसी श्रेणियों के संबंध में जारी की गयी कार्यकारी अधिसूचनाएं 31 जुलाई तक प्रभावी नहीं होंगी. अदालत ने निर्देश दिया कि इसके परिणामस्वरूप होने वाले सभी कार्य भी 31 जुलाई तक स्थगित रहेंगे. राज्य सरकार ने ओबीसी-ए (अधिक पिछड़े समुदाय) के तहत 49 उपधाराएं और ओबीसी-बी (अपेक्षाकृत कम पिछड़े समुदाय) के तहत 91 उपधाराएं शामिल की हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है