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नागरिकता साबित करने के लिए कौन से दस्तावेज जरूरी हैं: तृणमूल सांसद

तृणमूल सांसद समीरुल इस्लाम ने गुरुवार को पड़ोसी राज्य ओडिशा में पश्चिम बंगाल के बांग्ला भाषी प्रवासियों के उत्पीड़न का दावा करते हुए सवाल उठाया कि भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता है? विभिन्न राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासियों को बांग्लादेशी बताये जाने के मुद्दे को लगातार उठा रहे सांसद ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा को लिखा एक पत्र साझा किया.

कोलकाता.

तृणमूल सांसद समीरुल इस्लाम ने गुरुवार को पड़ोसी राज्य ओडिशा में पश्चिम बंगाल के बांग्ला भाषी प्रवासियों के उत्पीड़न का दावा करते हुए सवाल उठाया कि भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता है? विभिन्न राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासियों को बांग्लादेशी बताये जाने के मुद्दे को लगातार उठा रहे सांसद ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत द्वारा ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा को लिखा एक पत्र साझा किया. इस पत्र में कहा गया है कि ओडिशा के अधिकारी आधार और मतदाता फोटो पहचान पत्र (इपीआइसी) जैसे केंद्र सरकार द्वारा जारी पहचान दस्तावेजों को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं. समीरुल इस्लाम ने ””एक्स”” पर एक पोस्ट में कहा : आज पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत ने ओडिशा के अपने समकक्ष को पत्र लिखकर बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न को रोकने का आग्रह किया. ओडिशा के अधिकारियों ने आधार और इपीआइसी समेत केंद्र द्वारा जारी किसी भी पहचान दस्तावेज को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और बंगाल सरकार से सत्यापन की मांग की.

ओडिशा के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में डॉ पंत ने कहा कि ओडिशा में बांग्ला भाषी प्रवासियों को उनकी मातृभाषा के कारण गलत तरीके से बांग्लादेशी करार देकर परेशान किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से आवश्यक विवरण उपलब्ध कराने के बावजूद ओडिशा में पुलिस प्रवासी श्रमिकों को रिहा करने से इनकार कर रही है.

पत्र में आगे कहा गया है : लेकिन इससे भी उन्हें संतुष्टि नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने मतदाता सूची मांगी, जिसमें इन व्यक्तियों के नाम सूचीबद्ध थे. एक बार फिर, बंगाल प्रशासन ने अनुपालन किया और संबंधित दस्तावेज भेजे. तृणमूल नेता ने आरोप लगाया : अब, ओडिशा के पास कोई और मांग नहीं बची है. लेकिन फिर भी, उनकी पुलिस कई मामलों में इन गरीब प्रवासी श्रमिकों को रिहा करने से इनकार कर रही है. वे उन प्रवासी श्रमिकों को अदालत में पेश किये बिना 24 घंटे के बाद अवैध रूप से हिरासत में ले रहे हैं. समीरुल इस्लाम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से विनम्रतापूर्वक पूछा : इन गरीब नागरिकों को भारतीय के रूप में मान्यता देने के लिए आपको किस विशिष्ट दस्तावेज की आवश्यकता है? आपको इससे अधिक और क्या चाहिए?

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