कोलकाता.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की उपस्थिति को लेकर लागू किये गये नये नियमों से राज्य के चिकित्सक वर्ग में नाराजगी है. हाल ही में स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के बाद एनएमसी ने सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों को 75% उपस्थिति बनाये रखने का निर्देश दिया है. एनएमसी अब उपस्थिति की जांच के लिए मेडिकल कॉलेजों का दौरा नहीं करेगा. इसके बजाय एक फेस रिकॉग्निशन बायोमेट्रिक सिस्टम लागू किया गया है, जिससे एनएमसी अधिकारी दिल्ली से ही डॉक्टरों की उपस्थिति पर नजर रख सकेंगे. एनएमसी की इस सख्ती के बाद बंगाल के मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है. मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ अमित दा ने बताया कि हम सभी राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अधीन हैं. वे हमारी बायोमेट्रिक उपस्थिति ऑनलाइन देख सकते हैं. एनएमसी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में हमसे कहा कि चिकित्सकों के अनुपस्थित रहने से मरीजों के इलाज पर असर पड़ सकता है.दूसरी ओर, डॉक्टरों का एक वर्ग एनएमसी के इन कड़े नियमों से नाराज है. एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स की ओर से डॉ मानस गुमटा ने कहा कि एनएमसी हमें नियंत्रित नहीं करता. हम राज्य सरकार के अधीन हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ सरकारी मेडिकल कॉलेजों ही नहीं, निजी मेडिकल कॉलेजों पर भी नजर रखना जरूरी है.
डॉ गुमटा ने सवाल उठाया कि मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ शिक्षकों की अटेंडेंस ही मुद्दा क्यों हो? कई तो बिना क्लास लिए ही चले जाते हैं. एनआरएस मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ इंदिरा डे ने कहा कि एनएमसी ने अस्पताल में डॉक्टरों की उपस्थिति को लेकर नियम बनाये हैं और इन नियमों को अब और भी सख्त किया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है