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अब लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए भी पीजी हॉस्पिटल तैयार

मई 2018 में कोलकाता में पूर्वी भारत का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था. वर्ष 2018 के बाद ब्रेन डेथ के मामले में अंगदान व देह दान को लेकर राज्य में जन जागरूकता बढ़ी है.

शिव कुमार राउत, कोलकाता

मई 2018 में कोलकाता में पूर्वी भारत का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था. वर्ष 2018 के बाद ब्रेन डेथ के मामले में अंगदान व देह दान को लेकर राज्य में जन जागरूकता बढ़ी है. अब कोलकाता के एसएसकेएम (पीजी) समेत कई सरकारी अस्पतालों में भी हृदय, किडनी व लीवर के प्रत्यारोपण हो रहे हैं. पर अब तक राज्य में लंग्स (फेफड़ा) ट्रांसप्लांट को लेकर सरकारी स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं थी, क्योंकि फेफड़ा प्रत्यारोपण सर्जरी काफी जटिल मानी जाती है. इस तरह के प्रत्यारोपण के लिए काफी दक्ष चिकित्सकों की जरूरत होती है. लेकिन, राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अब लंग्स ट्रांसप्लांट की भी तैयारी कर ली है. पूर्वी भारत के सबसे बड़े सुपर स्पेशियलिटी सेंटर पीजी हॉस्पिटल में लंग्स ट्रांसप्लांट की तैयारी की गयी है. अब यहां ट्रांसप्लांट के लिए एक अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर भी तैयार है. इसमें पहले हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी हो चुकी है. सब कुछ ठीक रहा, तो जल्द ही पीजी में राज्य का पहला लंग्स ट्रांसप्लांट हो सकता है. हार्ट व लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए पीजी को पहले से ही लाइसेंस प्राप्त है.

मिल चुका है प्राप्तकर्ता, डोनर की हो रही तलाश : विभागाध्यक्ष, चेस्ट मेडिसिन

पीजी के चेस्ट मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो डॉ अमिताभ सेनगुप्ता ने बताया : फेफड़े के प्रत्यारोपण के लिए हमें प्राप्तकर्ता भी मिल चुका है. पीजी में ही एक ऐसे शख्स का इलाज किया जा रहा है, जिसे लंग्स ट्रांसप्लांट की जरूरत है. अब हमें डोनर की तलाश है. उन्होंने बताया कि इस तरह की सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए अस्पताल का कार्डियोथोरेसिक विभाग पूरी तरह से तैयार है. पीजी का ट्रॉमा केयर विभाग ब्रेन डेथ घोषित करने की क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अभी हाल में ही सड़क हादसे में बुरी तरह से घायल एक युवक को यहां ब्रेन डेथ घोषित किया गया था. ऐसे में हमें अगर एक स्वस्थ लंग्स मिले, तो जरूर ट्रांसप्लांट को करने में सफल रहेंगे.

क्या कहते हैं आंकड़े : झारखंड के देवघर के सोनारायठाढ़ी के निवासी दिलचंद सिंह का हृदय प्रत्यारोपण मई 2018 में कोलकाता के आनंदपुर स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में किया गया था. हालांकि, सर्जरी के पांच साल बाद ही उनकी मौत हो गयी. इंडियन जर्नल ऑफ ट्रांसप्लांटेशन के अनुसार मई 2018 से अक्तूबर 2023 तक बंगाल में 38 हृदय प्रत्यारोपण हुए. इनमें ज्यादातर रोगी पुरुष थे. ट्रांसप्लांट से गुजरने वाले अधिकांश रोगी इडियोपैथिक डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी नामक बीमारी से पीड़ित थे. प्रत्यारोपण सर्जरी के दौरान अस्पताल में मृत्यु दर 13.1% थी. कोलकाता में 2019 में सबसे अधिक नौ हार्ट ट्रांसप्लांट किये गये थे.

दिल्ली में हुई है डॉक्टरों की ट्रेनिंग :

कार्डियोथोरेसिक सर्जन, चेस्ट मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपस्थिति में ट्रांसप्लांट सर्जरी करते हैं. पीजी के इन दोनों विभागाें के चिकित्सकों को दिल्ली के एक अस्पताल में ट्रेनिंग दी गयी है. बताया गया है कि अब प्रशिक्षण प्राप्त यहां के चिकित्सक ऐसी सर्जरी को भी अंजाम देने को तैयार हैं.

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