संवाददाता कोलकाता
किसी भी बीमारी के इलाज में पैथोलॉजिस्ट यानी प्रयोगशाला विशेषज्ञों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. चूंकि ऐसे चिकित्सक पर्दे के पीछे कार्य करते हैं, इसलिए इन विशेषज्ञों की भूमिका को ज्यादातर मरीज नहीं समझ पाते. ऐसे में इन विशेषज्ञ चिकित्सकों के संगठन कलकत्ता एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट अब लोगों को जागरूक करेगा. संगठन की ओर से शुक्रवार को प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी गयी.
संगठन के उपाध्यक्ष डॉ सुकांत चक्रवर्ती ने बताया कि 24 जुलाई को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षण शिविर लगाया जायेगा. शिविर में एमबीबीएस, लैब टेक्नीशियन, जूनियर पैथोलॉजिस्ट व लैब मालिकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा, ताकि सभी मिल कर पैथोलॉजी के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर सकें. वहीं, किसी भी नमूने की जांच के संबंध में भी बताया जायेगा. उन्होंने बताया कि कलकत्ता एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट्स (सीएपीपी) पूर्वी भारत में निदान और प्रयोगशाला चिकित्सा का एक उज्ज्वल चेहरा है. 1997 में स्थापित, यह संगठन अब पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री के विशेषज्ञों को एक ही छत के नीचे एक साथ लाया है. उन्होंने बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में मरीजों और डॉक्टरों दोनों को प्रयोगशाला विशेषज्ञों पर निर्भर रहना पड़ता है. पैथोलॉजिस्ट ऊतकों और द्रवों का विश्लेषण करके रोगों का निदान करते हैं. माइक्रोबायोलॉजिस्ट संक्रामक रोगों के कारणों का निदान करते हैं. वहीं, बायोकेमिस्ट शरीर के रसायनों का विश्लेषण करते हैं और उपचार का सही मार्ग दिखाते हैं.
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