कोलकाता.
राज्य सरकार के सिंचाई विभाग की ओर से दामोदर घाटी के निचले क्षेत्र में नदी तटबंध की मरम्मत, ड्रेजिंग और जल भंडारण क्षमता बढ़ाने पर काम किया जा है. विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित इन परियोजनाओं में बाढ़ को रोकने के लिए नदी के किनारों की मरम्मत, क्षतिग्रस्त तटबंधों की मरम्मत और दुर्गापुर बैराज का आवश्यक आधुनिकीकरण शामिल है. लेकिन साथ ही आरोप है कि दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा राज्य की आपत्तियों को नजरअंदाज कर मैथन और पंचेत बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे इस मरम्मत कार्य में बाधा आ रही है. डीवीसी 15 जून से लगातार 17 दिनों से पानी छोड़ रहा है. कुछ दिन पहले ही डीवीसी ने जानकारी दी है कि आने वाले समय में पानी छोड़ने की मात्रा में और वृद्धि की जायेगी. पता चला है कि डीवीआरआरसी (दामोदर घाटी जलाशय नियमन समिति) ने पंचेत और मैथन से प्रतिदिन पानी छोड़ने का निर्णय लिया है. इस समिति के सदस्यों में डीवीसी, केंद्रीय जल आयोग और झारखंड सरकार शामिल हैं. डीवीआरआरसी के सदस्य सचिव संजीव कुमार ने बताया कि झारखंड के तेनुघाट और कोनार से भारी मात्रा में पानी पंचेत और मैथन बांध में जमा हो रहा है. नतीजतन जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. अगले कुछ दिनों में भारी बारिश का भी अनुमान है, इसलिए बांधों की सुरक्षा के लिए पानी छोड़ना जरूरी है. हालांकि राज्य का दावा है कि पानी छोड़ने का यह समय कतई उपयुक्त नहीं है. पिछले साल भी इसी तरह पानी छोड़े जाने से कई बांध क्षतिग्रस्त हो गये थे. अब उनकी मरम्मत का काम चल रहा है. जून में भी इस साल पहली बार दुर्गापुर बैराज से 82,000 क्यूसेक की दर से पानी छोड़ना पड़ा था. ऐसे में सिंचाई विभाग के एक वर्ग को डर है कि डीवीसी के इस फैसले से नदी किनारे बसे कई लोगों को फिर से खतरा हो सकता है.क्या कहते हैं राज्य के सिंचाई मंत्री मानस भुइयां : इस संबंध में राज्य के सिंचाई मंत्री मानस भुइयां ने आरोप लगाया कि पिछले साल जब डीवीसी ने अचानक एक साथ करीब 2.75 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा था, तब दामोदर पर बने कई बांध क्षतिग्रस्त हो गये थे, जिनका मरम्मत कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है. उससे पहले डीवीसी फिर भारी मात्रा में पानी छोड़ रहा है. इससे मरम्मत कार्य बाधित हो रहा है.
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