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नौकरी से वंचित शिक्षकों का शिक्षा मंत्री के घर के सामने प्रदर्शन

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवा चुके कई बेरोजगार शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मी लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इन बेरोजगारों ने पहले विकास भवन के सामने और धर्मतला में धरना दिया था. गुरुवार को उनका आंदोलन राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के कालिंदी स्थित आवास के सामने जा पहुंचा, जहां उन्होंने प्रदर्शन किया.

कोलकाता.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवा चुके कई बेरोजगार शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मी लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इन बेरोजगारों ने पहले विकास भवन के सामने और धर्मतला में धरना दिया था. गुरुवार को उनका आंदोलन राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के कालिंदी स्थित आवास के सामने जा पहुंचा, जहां उन्होंने प्रदर्शन किया. बेरोजगार शिक्षकों का एक समूह शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के घर के पास इकट्ठा हुआ. पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वे दृढ़ता से डटे रहे और तुरंत नौकरी पर वापस भेजे जाने की मांग करने लगे. उनका आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चला. बेरोजगार शिक्षकों के एक वर्ग का दावा है कि उन्हें स्कूलों में वापस नहीं जाने दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि स्कूल जाने योग्य सभी बेरोजगार शिक्षकों की सूची भेजी गयी थी, लेकिन कई शिक्षकों के नाम उस सूची में नहीं हैं, जिससे वे गंभीर असमंजस में हैं. इस स्थिति से बेरोजगार शिक्षकों के साथ-साथ राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी पर भी दबाव बढ़ रहा है.

बेरोजगार शिक्षकों का एक वर्ग दावा करता है कि वे बड़ी मुसीबत में हैं, क्योंकि उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा है. परीक्षा पास करने के बाद नौकरी मिली तो सही, लेकिन अब भ्रष्टाचार के कारण वे भयानक अनिश्चितता में डूब गये हैं. बेरोजगार शिक्षक सवाल उठा रहे हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. फिलहाल, बेरोजगार शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री के घर के सामने शांतिपूर्ण धरना शुरू कर दिया है.

बढ़ायी गयी शिक्षा मंत्री के घर की सुरक्षा : इस बीच, शिक्षा मंत्री के घर पर पुलिस सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. यह ध्यान देने योग्य है कि इससे पहले अप्रैल के अंत में भी बेरोजगार शिक्षक कुछ देर के लिए ब्रात्य बसु के घर के पास धरना देकर बैठे थे. उस समय ब्रात्य बसु घर पर नहीं थे, और पुलिस ने उन्हें बताया था कि वे बिना पूर्व अनुमति के शिक्षा मंत्री से नहीं मिल सकते. तब शिक्षक धीरे-धीरे वहां से हट गये थे. शिक्षकों का कहना है कि वास्तव में, कई लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं, और अब वे अपना गुजारा नहीं कर पा रहे हैं. कई लोगों के नाम स्कूल जाने के योग्य लोगों की सूची में नहीं हैं, जिसके कारण वे मुसीबत में फंस गये हैं .और उनका गुजारा चलाना मुश्किल हो गया है.

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