कोलकाता.
बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) बिमान बनर्जी ने मानसून सत्र के दौरान सदन में विधायकों की कम उपस्थिति को लेकर गुरुवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह स्कूल नहीं है, लेकिन अनुशासन का पालन जरूरी है. विधायकों को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा जैसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक मंच पर कम से कम जिम्मेदारी और अनुशासन तो होना ही चाहिए. स्पीकर ने कहा, मैं तो किसी विधायक को आने से रोक नहीं सकता, लेकिन क्या उन्हें खुद समझना नहीं चाहिए कि वे क्यों और किसके लिए चुने गए हैं ?जब जनता ने भरोसे से चुनकर भेजा है, तो उसका सम्मान होना चाहिए. स्पीकर की इस नाराजगी के समर्थन में शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने भी कड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई विधायक सवाल पूछते हैं, लेकिन जब सदन में मंत्री द्वारा उनके सवालों के जवाब दिए जाते हैं, तब वे स्वयं मौजूद नहीं होते. यह न तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए सही है और न ही सदन की गरिमा के लिए. इससे यह संदेश जाता है कि विधायकों की रुचि सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने या रिकार्ड में सवाल रखने तक सीमित है, न कि वास्तव में जनता की समस्याओं को हल करने में. विधानसभा स्पीकर ने भी कहा कि चाहे प्रश्नकाल हो, शून्यकाल हो या किसी प्रस्ताव और विधेयक पर बहस हो, सभी विधायकों की उपस्थिति जरूरी होती है. यह सदन कोई औपचारिकता निभाने की जगह नहीं है. यहां हर पल लोकतंत्र की नींव मजबूत होती है. अगर जनप्रतिनिधि ही गैर-जिम्मेदार बनेंगे तो लोकतंत्र की नींव डगमगा जायेगी. मालूम हो कि यह पहली बार नहीं है जब विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में विधायकों की कम उपस्थिति पर नाराजगी जताई है. इससे पहले भी वे विभिन्न सत्रों के दौरान कई मौके पर इसको लेकर सवाल उठा चुके हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

