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शुभेंदु के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर हंगामा, भाजपा विधायकों का वाॅकआउट

विधानसभा के माॅनसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी व तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल द्वारा बोलपुर थाने के प्रभारी को फोन पर धमकी व गाली देने के खिलाफ विपक्ष के भाजपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया.

कोलकाता.

विधानसभा के माॅनसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी व तृणमूल नेता अनुब्रत मंडल द्वारा बोलपुर थाने के प्रभारी को फोन पर धमकी व गाली देने के खिलाफ विपक्ष के भाजपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया.

अनुब्रत द्वारा थाना प्रभारी को फोन पर धमकी और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ अभद्र भाषा के प्रयोग को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग पर चर्चा के लिए भाजपा की महिला विधायकों ने पहले हाफ में प्रश्नकाल के बाद कार्य स्थगन प्रस्ताव लाने की कोशिश की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद भाजपा विधायकों ने नाराजगी जताते हुए प्रदर्शन किया और अध्यक्ष पर विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश बताया.

इसी बीच, मंगलवार को विधानसभा के बाहर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ कथित अपमानजनक और असत्य टिप्पणी करने को लेकर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कुछ विधायकों द्वारा पेश किये गये विशेषाधिकार प्रस्ताव को अध्यक्ष द्वारा स्वीकार किये जाने और इसे विशेषाधिकार समिति को सौंपे जाने के फैसले के खिलाफ भाजपा विधायकों ने नारेबाजी करते हुए सदन से वाॅकआउट किया. भाजपा विधायकों ने इस कदम का जोरदार विरोध किया और सदन के भीतर व बाहर जबर्दस्त नारेबाजी की. विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपात का आरोप लगाया. विधानसभा में शुभेंदु के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पढ़े जाने के तुरंत बाद भाजपा विधायकों ने विरोध करना शुरू कर दिया.

मुख्य सचेतक शंकर घोष के नेतृत्व में भाजपा संसदीय दल ने विधानसभा में नारे लगाते हुए कहा जा बोलेचे, ठीक बोलेचे”” यानी शुभेंदु ने जो कहा, वह सही कहा. शुभेंदु बुधवार को सत्र से अनुपस्थित थे. जब स्पीकर उनके खिलाफ प्रस्ताव पढ़ रहे थे, तब सिलीगुड़ी के विधायक व विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक शंकर घोष ने कहा : आपने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तृणमूल विधायकों की अपमानजनक टिप्पणी के मामले में कहा था कि विधानसभा के बाहर किसी ने जो कहा, उसे सदन में स्वीकार नहीं किया जायेगा. लेकिन शुभेंदु द्वारा विधानसभा के बाहर की गयी टिप्पणियों पर यह प्रस्ताव क्यों स्वीकार किया गया? हालांकि भाजपा के विरोध के बावजूद अध्यक्ष ने शुभेंदु के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. उसके बाद भाजपा विधायकों ने सदन से वाॅकआउट कर दिया.

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