कोलकाता/नयी दिल्ली. तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची के प्रस्तावित ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ से मतदान के अधिकार और नागरिकता पर ‘विनाशकारी’ प्रभाव पड़ेगा. गोखले ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि पुनरीक्षण के लिए आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने में विफल रहनेवालों को आसानी से ‘विदेशी’ करार दिया जा सकता है और मतदान का अधिकार खोना ही एकमात्र खतरा नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘मोदी सरकार आपके मतदान के अधिकार को छीन रही है और निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) ला रही है. गत गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया, जिसका न केवल आपके मतदान के अधिकार पर, बल्कि आपकी नागरिकता पर भी विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा.’’ तृणमूल नेता ने आगे कहा कि “इस प्रक्रिया के अनुसार, नये और मौजूदा मतदाताओं को यदि उनका जन्म जुलाई 1987 से पहले हुआ है, तो एक महीने के भीतर जन्म और जन्मस्थान का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा. जुलाई 1987 से दिसंबर 2004 के बीच जन्मे लोगों के लिए अपना और माता-पिता में से एक का जन्म और जन्मस्थान का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा. इसके अलावा, दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों के लिए अपना और माता-पिता दोनों के लिए जन्म और जन्मस्थान का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा. यदि ये दस्तावेज एक महीने के भीतर प्रस्तुत नहीं किये जाते हैं, तो आपका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जायेगा. निर्वाचन आयोग ने यह प्रक्रिया बिहार चुनावों के साथ शुरू की है और दिसंबर के बाद पश्चिम बंगाल और अन्य सभी राज्यों में भी इसे किया जायेगा.’’
तृणमूल सांसद ने कहा कि “यह ‘खतरनाक’ है, क्योंकि ‘भारत में बड़ी संख्या में लोगों के पास अपने माता-पिता की तो बात ही छोड़िए, खुद के जन्म प्रमाण पत्र की प्रतियां भी नहीं हैं. ग्रामीण भारत में, कई लोगों का घर पर ही जन्म हुआ है- जिसका मतलब है कि उन्हें कभी जन्म प्रमाण पत्र नहीं मिला.
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