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बंगाल में महिला सुरक्षा के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता चिंताजनक : नड्डा

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कोलकाता में एक कॉलेज की छात्रा से हुए दुष्कर्म मामले को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा. दरअसल, भाजपा की ओर से गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट जेपी नड्डा को सौंपी. इसे लेकर नड्डा ने 'एक्स' पर एक पोस्ट भी साझा किया.

कोलकाता.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कोलकाता में एक कॉलेज की छात्रा से हुए दुष्कर्म मामले को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा. दरअसल, भाजपा की ओर से गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट जेपी नड्डा को सौंपी. इसे लेकर नड्डा ने ””एक्स”” पर एक पोस्ट भी साझा किया. उन्होंने लिखा : कोलकाता में विधि छात्रा के साथ हुए जघन्य अपराध की जांच के लिए गठित भाजपा तथ्यान्वेषी दल की रिपोर्ट प्राप्त हुई.

यह रिपोर्ट पश्चिम बंगाल में अराजकता की चरम स्थिति और महिला सुरक्षा के प्रति राज्य सरकार की चिंताजनक असंवेदनशीलता को उजागर करती है. संदेशखाली से लेकर आरजी कर अस्पताल और अब यह. पैटर्न वही है, जिसमें चुप्पी, निष्क्रियता और आरोपियों को संरक्षण दिया जा रहा है.

गौरतलब है कि कसबा लॉ कॉलेज की घटना के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने फैक्ट फाइंडिंग टीम में चार सदस्यों को नियुक्त किया था. इस समिति में पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल सिंह और मीनाक्षी लेखी के साथ सांसद बिप्लब देब और मनन कुमार मिश्रा शामिल किये गये थे.

पीड़ित परिवार से मिलने की नहीं दी गयी इजाजत : फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कहा है : हमें पीड़िता से मिलने की इजाजत नहीं दी गयी. वजह बतायी गयी उनकी सुरक्षा और निजता. लेकिन मामला कुछ और ही लगता है. हमें एक मोबाइल नंबर दिया गया, जिसे पीड़िता के पिता का बताया गया, लेकिन उस नंबर पर सभी कॉल्स बेकार रहीं और भेजे गये वॉट्सएप मैसेज भी पढ़े नहीं गये. ऐसा लगता है कि पीड़िता और उनके परिवार को कहीं छिपा दिया गया है. आशंका है कि उन्हें किसी से मिलने तक नहीं दिया जा रहा और पुलिस उन पर दबाव डाल रही है, ताकि वे सरकार के मुताबिक बयान दें.

आरजी कर घटना के समान ही लॉ कॉलेज का मामला : साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज और आरजी कर मेडिकल कॉलेज- दोनों ही रेप केस बेहद डरावना सच उजागर करते हैं. दोनों मामलों में साफ दिखता है कि किस तरह कॉलेज कैंपस में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा का सिलसिला राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक नाकामी की वजह से बढ़ रहा है. एक मामले में सिविक वाॅलंटियर (स्वयंसेवक) के तौर पर और दूसरे में स्टाफ के रूप में, जिन्हें कैंपस में व्यवस्था बनाये रखने के नाम पर जिम्मेदारी दी गयी थी, उन्होंने उसी का गलत फायदा उठाया और महिलाओं को शिकार बनाने की कोशिश की. दोनों मामलों से यह भी साफ होता है कि किस तरह छात्र राजनीति में अपराधीकरण गहराता जा रहा है और हमारे शैक्षणिक संस्थानों में लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सिस्टम पूरी तरह फेल हो रहा है.

फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट में अहम खुलासे

प्रदेश भाजपा से मिली जानकारी के अनुसार, फैक्ट फाइंडिंग टीम ने घटना में कई महत्वपूर्ण खुलासे किये हैं. भाजपा द्वारा साझा की गयी एफआइआर की कॉपी से यह बड़ा खुलासा हुआ कि आरोपियों के असली नाम हटा दिये गये हैं और इसकी जगह आइ, जी, एस, पी और डी जैसे शुरुआती अक्षर लिखे गये हैं, जिनका असली आरोपियों से कोई संबंध नहीं है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है- आखिर असली अपराधी हैं कौन? क्योंकि इन अक्षरों का किसी भी मुख्य आरोपी से कोई मेल नहीं है. मामले का मुख्य आरोपी मनोजीत मिश्रा है, जिसे ‘मैंगो’ नाम से भी जाना जाता है. कमेटी के सदस्य सतपाल सिंह ने कहा कि एफआइआर से नामों को इस तरह हटाना और बदलना पूरी तरह हैरान करने वाला है. इसकी कोई तर्कसंगत वजह नजर नहीं आती.

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