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सांसद को जातिसूचक गाली देने के मामले में शिक्षक दंपती दोषी करार

मामला वर्ष 2021 का है, जब श्रीरामपुर की पूर्व सांसद अपरूपा पोद्दार ने श्रीरामपुर थाने में शिकायत दर्ज करायी थी.

पूर्व सांसद अपरूपा पोद्दार की शिकायत पर चला था मामला, सजा का ऐलान मंगलवार को हुगली. जिले के चंदननगर अदालत परिसर में सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया गया. अनुसूचित जाति की पूर्व सांसद को जातिसूचक गालियां देने और दुर्व्यवहार करने के मामले में चुंचुड़ा की विशेष अदालत ने एक शिक्षक दंपती को दोषी ठहराया है. मामला वर्ष 2021 का है, जब श्रीरामपुर की पूर्व सांसद अपरूपा पोद्दार ने श्रीरामपुर थाने में शिकायत दर्ज करायी थी.

आरोपी नसीम अख्तर श्रीरामपुर के एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक हैं, जबकि उनकी पत्नी अंसारी खातून एक निजी उर्दू स्कूल में शिक्षिका हैं. आरोप के अनुसार, 6 सितंबर 2021 को अपरूपा पोद्दार को सूचना मिली थी कि उक्त दंपती के घर से कथित रूप से सेक्स रैकेट चलाया जा रहा है. यह सुनकर वह और उनके पति साकिर अली वहां पहुंचे थे, जहां कथित तौर पर उनके साथ जातिसूचक और अश्लील गालियां दी गयीं.

एससी/एसटी एक्ट के तहत दोषी, अन्य धाराओं से बरी

इस मामले की सुनवाई चुंचुड़ा अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष अदालत) संजय कुमार शर्मा की अदालत में हुई. अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धाराएं 354 (महिला की लज्जा भंग) और 506 (आपराधिक धमकी) से दोनों को बरी कर दिया, लेकिन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) के तहत उन्हें दोषी ठहराया. इस धारा में अधिकतम पांच वर्ष तक की सजा का प्रावधान है. सजा का ऐलान मंगलवार को किया जायेगा.

शिक्षक दंपती बोले, ‘हमें फंसाया गया है’

अदालत से बाहर निकलते हुए आरोपी शिक्षक दंपती ने दावा किया कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है. उनका आरोप है कि सांसद के पति साकिर अली ने उनसे पैसे लिये थे, और जब मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा, तब उन्हें पैसे लौटाने पड़े. इसी के बदले में यह शिकायत दर्ज करायी गयी. उन्होंने कहा कि वे उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. उनके वकील मृण्मय मजूमदार ने कहा कि जिस दिन की घटना बताई जा रही है, उस दिन दोनों श्रीरामपुर अस्पताल में मौजूद थे. सेक्स रैकेट के आरोप को अदालत ने खारिज कर दिया. लेकिन दोषसिद्धि अप्रत्याशित है, फिर भी उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है. सरकारी अधिवक्ता शंकर गांगुली ने बताया कि पूर्व सांसद अनुसूचित जाति की महिला हैं और जब वे आरोपियों के घर पहुंचीं, तो उन्हें जातिसूचक गालियां दी गयीं. नौ गवाहों के बयान अदालत में पेश किये गये, जिनके आधार पर आरोप सिद्ध हुआ. अदालत ने इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर दोष सिद्ध किया.

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