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विकास भवन: तीसरे दिन भी शिक्षकों ने दिया धरना

सीएम से मिलने की मांग पर अड़े नौकरी गंवाने वाले शिक्षक

सीएम से मिलने की मांग पर अड़े नौकरी गंवाने वाले शिक्षक

कोलकाता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों व गैर शिक्षण कर्मियों का राज्य शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन में विरोध प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी रहा. शनिवार को विरोध प्रदर्शन में बर्खास्त शिक्षकों के छात्र भी शामिल हुए. इन छात्रों में कई ऐसे हैं, जिन पर गुरुवार रात पुलिस ने हमला किया था, जब सरकारी कार्यालय की घेराबंदी हिंसक हो गयी थी. बर्खास्त शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु उनसे आकर नहीं मिलते हैं, उनकी समस्या का समाधान नहीं होता, वह अपना आंदोलन जारी रखेंगे. सॉल्टलेक में विकास भवन के सामने एक हजार से अधिक शिक्षक रातभर धरना-प्रदर्शन पर डटे रहे. शाम के समय विकास भवन से सॉल्टलेक स्थित करुणामयी तक मार्च निकाला गया, जिसमें शिक्षक और उनके छात्रों ने भाग लिया. प्रदर्शनकारी शिक्षकों के नेताओं में से एक चिन्मय मंडल ने कहा: हम मुख्यमंत्री से तत्काल बातचीत की मांग करते हैं. प्रदर्शनकारियों ने शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मुलाकात होने तक धरना जारी रखने की कसम खायी है. यहां लोकतंत्र बचाओ आंदोलन के सदस्यों ने शिक्षकों पर पुलिस की बर्बरता के विरोध में शनिवार शाम को मौलाली से डोरिना क्रॉसिंग तक रैली निकाली गयी.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार दिया था और पूरी चयन प्रक्रिया को ‘दूषित’ करार दिया था. बंगाल पुलिस ने गुरुवार को प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा था कि वे विकास भवन के कर्मचारियों और आगंतुकों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे, जिन्हें सात घंटे से अधिक समय तक भवन के अंदर बंद रखा गया था. वहीं यहां आंदोलन कर रहे शिक्षकों व गैर शिक्षण कर्मियों का कहना है कि उनको बिना किसी अपराध की सजा दी जा रही है. उन्होंने परीक्षा पास करके नौकरी करने के लिए आवेदन किया और योग्य होने के बावजूद उनकी नौकरी छीन ली गयी है.

क्या है मामला

गौरतलब है कि ऐसे शिक्षक, जिन्होंने 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपनी नौकरी खो दी, मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार उन्हें उनकी सेवाओं में बहाल करने के लिए कानूनी कदम उठाये.

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