कोलकाता.
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत एसएससी के कुछ बेरोजगार शिक्षकों को अस्थायी तौर पर नौकरी मिलती रहेगी. हालांकि, शिक्षक संगठन इस फैसले को पूर्ण समाधान नहीं मान रहे हैं. उनका कहना है कि यह केवल अस्थायी राहत है, और वे तब तक संतुष्ट नहीं होंगे जब तक उन्हें 60 वर्ष की आयु तक स्कूलों में सम्मानजनक रूप से पढ़ाने की स्थायी व्यवस्था नहीं मिलती. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने गुरुवार को जो आदेश जारी किया, उसके बाद प्रदर्शनकारी शिक्षकों के एक वर्ग की प्रतिक्रिया सामने आयी है. प्रदर्शनकारी अब इस आदेश की समीक्षा की योजना बना रहे हैं और इस पर आंतरिक चर्चा कर रहे हैं कि आगे आंदोलन जारी रखा जाये या नहीं.छह माह की नौकरी को पूर्ण समाधान मानने से इनकार : प्रदर्शनकारी संगठन ””योग्य शिक्षा शिक्षक अधिकार मंच”” के संयोजक चिन्मय मंडल सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी होने के समय दिल्ली स्थित न्यायालय परिसर में मौजूद थे. बाद में वह शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के साथ विकास भवन में हुई बैठक में भी शामिल हुए. चिन्मय ने कहा, “यह आदेश एक रणनीतिक सफलता है. हम काम करना जारी रख सकेंगे, हमें वेतन मिलेगा. लेकिन यह सिर्फ शुरुआती राहत है. हम इसे स्थायी समाधान नहीं मानते. हम रिटायरमेंट तक पढ़ाना चाहते हैं और इसके लिए पुनः आवेदन देंगे.”
संगठन की कोर कमेटी के सदस्य अब्दुल्ला अल मंजूम दिल्ली से कोलकाता लौट रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारा सड़क आंदोलन रुकेगा नहीं. हमें छह महीने की नौकरी मिली है, यह समाधान नहीं है. हम नयी परीक्षा नहीं देंगे. राज्य सरकार को तय करना होगा कि वह अदालत को क्या जानकारी देगी और किस तरह से समाधान निकालेगी. हम छह महीने ””पार्ट-टाइम”” शिक्षक बनें और फिर बेरोजगार हो जायें, यह मंजूर नहीं.”डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है