कोलकाता.
फर्जी दस्तावेज जमा कर 24 साल तक सरकारी नौकरी करने के आरोप में बहूबाजार थाने की पुलिस ने अपूर्व चक्रवर्ती नामक आरोपी को गिरफ्तार किया था. उसकी पुलिस हिरासत की अवधि खत्म होने के बाद बुधवार को दोबारा उसे अदालत में पेश किया गया. वहां सुनवाई के दौरान उसे नौ अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में रखने का निर्देश दिया गया. इस दौरान अदालत में सरकारी वकील ने आरोपी को लेकर कई खुलासे किये. पता चला है कि आरोपी ने सरकारी नौकरी ज्वाइन करते समय जिस स्कूल के नाम पर प्रमाण पत्र जमा कराया था, उस स्कूल का कोई अस्तित्व ही नहीं है. जांच में पाया गया कि 24 साल पहले भी उस स्कूल का कोई अस्तित्व नहीं था. इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से और भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले बहूबाजार थाने की पुलिस ने न्यू बैरकपुर से अपूर्व चक्रवर्ती नामक आरोपी को गिरफ्तार किया था. आरोप यह है कि उसने अपनी शैक्षिक योग्यता का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करके राज्य सरकार के केआइटी बिल्डिंग में नौकरी प्राप्त कर ली. वह हेल्थ सर्किल कार्यालय में काम करने लगा. इस बीच, कहीं से गुप्त जानकारी मिलने पर पूरा मामला अधिकारियों के ध्यान में आया.इसके बाद बहूबाजार थाने में इसकी शिकायत दर्ज करायी गयी. बुधवार को अपूर्व चक्रवर्ती को दोबारा अदालत में पेश करने पर उसे नौ अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया.
फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के खिलाफ राज्य सरकार ने शुरू की कार्रवाई
राज्य सरकार ने अब फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. अब राज्य सरकार ने उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है, जिन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र देकर नियुक्तियां की है. सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने फिलहाल दो पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है. बताया जा रहा है कि राज्य के पिछड़ा वर्ग विभाग ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी है. पिछड़ा वर्ग विभाग ने दो इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ इस बात के सबूत मिले हैं कि वे फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने में जुड़े हुए हैं. पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने खड़गपुर और बैरकपुर के दो अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है.
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