कोलकाता. राज्य विधानसभा ने मंगलवार को वेस्ट बंगाल क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट (पंजीकरण, विनियमन और पारदर्शिता) संशोधन विधेयक, 2025 को पारित किया. इस विधेयक का उद्देश्य राज्य के निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में पारदर्शिता लाना और इलाज के नाम पर होने वाली मनमानी शुल्क वसूली पर अंकुश लगाना है. स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने यह विधेयक विधानसभा में पेश किया और कहा कि संशोधन के जरिये निजी अस्पतालों की जवाबदेही सुनिश्चित की जायेगी. उन्होंने बताया कि अब सभी निजी अस्पतालों को पैकेज दरें और निश्चित शुल्क (जैसे बेड चार्ज, एमआरआइ, रेडियोलॉजी और अन्य जांच शुल्क) स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने होंगे.
अब बिना बताये नहीं बढ़ेगा बिल
विधेयक में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि इलाज के दौरान मरीज या उनके परिजनों को हर स्तर पर सूचित किया जाना आवश्यक होगा- चाहे वह संभावित खर्च हो, दवाइयों की जानकारी, सर्जरी या अन्य तकनीकी हस्तक्षेप. कोई भी निजी अस्पताल अब बिना पूर्व अनुमति के बिल नहीं बढ़ा सकेगा. डिजिटल होगी स्वास्थ्य प्रणालीराज्य की संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली को केंद्रीकृत, पारदर्शी और डिजिटल बनाने की योजना भी विधेयक का हिस्सा है. प्रत्येक मरीज का इ-प्रेस्क्रिप्शन, टेस्ट रिपोर्ट और इलाज का ब्योरा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध रहेगा. .विधेयक में हैं कुछ खामियां : भाजपा
भाजपा ने विधेयक में कुछ खामियोंकी बात कही है. नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने विधेयक पर चर्चा में भाग लिया, जबकि सोमवार की चर्चा में भाजपा के किसी विधायक ने हिस्सा नहीं लिया था. वहीं, एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट हॉस्पिटल्स ऑफ ईस्टर्न इंडिया के अध्यक्ष रूपक बरुआ ने इस कदम का स्वागत किया. लेकिन यह भी कहा कि इलाज की जटिलता को देखते हुए कुछ मामलों में पैकेज से बाहर खर्च होना स्वाभाविक है. ऐसे मामलों की समीक्षा में लचीलापन जरूरी होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है