कोलकाता.
पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूल सेवा आयोग भर्ती भ्रष्टाचार के कारण नौकरी गंवाये ग्रुप सी और डी श्रेणी के गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए एक अंतरिम योजना की घोषणा की है. पश्चिम बंगाल सरकार के श्रम विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार इस योजना के तहत योग्य कर्मचारियों को मासिक भत्ता प्रदान किया जायेगा. इस योजना का नाम ‘पश्चिम बंगाल जीविका एवं विशेष सुरक्षा अंतरिम योजना’ रखा गया है. इसे 14 मई को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गयी थी और अब श्रम विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. योजना के तहत समूह-सी के कर्मियों को प्रति माह 25,000 रुपये और समूह-डी के कर्मियों को 20,000 रुपये की राशि दी जायेगी. यह भुगतान एक अप्रैल 2025 से प्रभावी माना जायेगा और तब तक जारी रहेगा जब तक अदालतों में चल रही कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती. इस योजना के पीछे की मंशा स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही कहा था कि कुछ तत्वों द्वारा सरकार के फैसलों के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर करने की प्रवृत्ति को देखते हुए योजना को श्रम विभाग के दायरे में लाया गया है.फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में दायर की गयी है अर्जी : हालांकि इस योजना को पहले ही कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा चुकी है. न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने इस योजना के खिलाफ दायर याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें इन भुगतानों को ‘अवैध’ बताया गया है. इस मामले की अगले सप्ताह अदालत में सुनवाई होने की संभावना है. गौरतलब है कि तीन अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की 25,753 नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. अदालत ने माना था कि राज्य सरकार और आयोग यह साबित करने में असफल रहे कि चयनितों में से कौन ‘दागी’ और कौन ‘निर्दोष’ हैं. राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएसएससी ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है.
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