कोलकाता. बाल विवाह रोकने के लिए, खासकर दूर-दराज के पिछड़े इलाकों में, हुगली जिला प्रशासन ने एक अभिनव आदेश जारी किया है. अब जिले में किसी भी लड़की की शादी वाले घर पर एक पोस्टर लगाना अनिवार्य होगा, जिस पर स्पष्ट रूप से लिखा होगा- यह बाल विवाह नहीं है. यह दिशानिर्देश विशेष रूप से उन शादियों पर लागू होगा जहां रूपोश्री परियोजना से वित्तीय सहायता ली जा रही है. इस योजना के तहत सरकार 25,000 रुपये की सहायता प्रदान करती है.
प्रशासन का उद्देश्य
हुगली के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (विकास) अमितेंदु पाल ने बताया कि रूपोश्री परियोजना के तहत सरकारी अनुदान तभी दिया जाता है, जब लड़की 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेती है. इसलिए इस संदेश वाले पोस्टर शादी समारोह में लगाने को कहा जा रहा है. इससे एक ओर प्रशासन का काम आसान होगा. वहीं, समाज में यह संदेश भी जायेगा कि बाल विवाह कानूनन दंडनीय है. जिला प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, प्रशासन ने हाल ही में आरामबाग अनुमंडल सहित जिले के विभिन्न हिस्सों में कई नाबालिग लड़कियों की शादी की योजनाओं को विफल किया है.हालांकि, हर जगह बाल विवाह को पूरी तरह रोकने में अभी भी कामयाबी नहीं मिल पा रही है. कई बार प्रशासन की नजर से बचने के लिए गुपचुप तरीके से शादियां करा दी जाती हैं. इसीलिए, इस बार निगरानी के साथ एक नयी रणनीति अपनायी गयी है. शादी के दिन समारोह के दौरान ही जागरूकता का संदेश देने के लिए घर के बाहर ‘यह बाल विवाह नहीं है’ का पोस्टर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.
नियम सिर्फ पोस्टर तक सीमित नहीं
दिशानिर्देश केवल पोस्टर तक ही सीमित नहीं हैं. शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को एक बॉन्ड भरना होगा, जिसमें लिखित रूप से यह बताना होगा कि शादी के समय लड़की की उम्र कम से कम 18 साल (बालिग) है. इस बॉन्ड के बिना रूपोश्री योजना के तहत सरकारी सहायता नहीं मिलेगी. हुगली जिला प्रशासन ने इस संबंध में सभी बीडीओ और अनुमंडल प्रशासकों को विशेष निर्देश भेजे हैं. प्रशासन का मानना है कि बाल विवाह रोकने के लिए कड़ी निगरानी से ज्यादा जरूरी सामाजिक जागरूकता है. प्रशासन को उम्मीद है कि शादी जैसे सामाजिक आयोजनों में पोस्टर लगाने से दूसरों में भी जागरूकता पैदा होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है