प्रतिनिधि, हुगली.
विगत साढ़े तीन महीने से इलाज नहीं मिलने के कारण हुगली जिले के हिमोफीलिया रोगी और उनके परिजन गुरुवार को जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गये. उन्होंने पोस्टर और प्लेकार्ड लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग पर इस दुर्लभ जन्मजात रोग के प्रति गंभीर न होने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि इस लापरवाही के कारण पीड़ित बच्चों और वयस्कों को असहनीय दर्द और विकलांगता का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि हिमोफीलिया एक जन्मजात और लाइलाज बीमारी है, जिसमें खून के थक्के बनने की प्रक्रिया में गड़बड़ी होती है. यह किसी भी चोट या अंदरूनी रक्तस्राव को जानलेवा बना सकता है. इस बीमारी में रोगियों को नियमित रूप से फैक्टर-8 और फैक्टर 9 नामक जीवनरक्षक दवाओं की आवश्यकता होती है. चुंचुड़ा इमामबाड़ा अस्पताल में इस समय लगभग 60 हिमोफीलिया रोगी इलाज के लिए पंजीकृत हैं. पीड़ित कृष्णचंद्र दास ने बताया कि यह एक गंभीर बीमारी है. नियमित इलाज नहीं मिलने से हम बिस्तर पर पड़ गये हैं. कई बच्चों की हालत तो और भी गंभीर है. चिकित्सकों के अनुसार, न्यूक्लियर फैक्टर ए और B की आपूर्ति बंद हो चुकी है और साढ़े तीन महीने से इंतजार करने के बाद अब हालात असहनीय हो गये हैं.
पीड़ितों के अनुसार, चुंचुड़ा अस्पताल में हिमोफीलिया का इलाज अक्टूबर 2018 में शुरू हुआ था. इससे पहले रोगियों को कोलकाता मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता था. राज्य सरकार ने 2016 में इस रोग के लिए एक सर्कुलर जारी किया था, जिसके तहत 2017 में जिला अस्पताल में इलाज की मांग की गयी. इसके बाद 2018 से यहां इलाज नियमित रूप से चल रहा था, लेकिन 2021 के बाद से इलाज में लगातार अनियमितता देखी जा रही है. एक पीड़ित बच्चे की मां दीप्ति दास ने कहा : मेरे बच्चे को हफ्ते में दो बार इंजेक्शन देना जरूरी होता है. लेकिन पिछले साढ़े तीन महीने से एक भी इंजेक्शन नहीं मिला है. क्या सरकार को इन बच्चों की कोई परवाह नहीं है? हम बार-बार अस्पताल जाते हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता.
उधर, धरने के दौरान पीड़ित परिवारों ने जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को लिखित शिकायत भी सौंपी. उन्होंने जल्द से जल्द दवाओं की आपूर्ति शुरू करने की मांग की ताकि रोगियों की जान बचाई जा सके. यदि इलाज शीघ्र शुरू नहीं हुआ, तो पीड़ित परिवारों ने बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ने और राज्य स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगने की चेतावनी दी है.
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