कोलकाता. राज्य के कॉलेजों में दाखिले के लिए बने ऑनलाइन पोर्टल पर ओबीसी प्रमाणपत्र से जुड़ी अदालत की पूर्व व्यवस्था का पालन नहीं हो रहा है. इस आरोप के साथ याचिकाकर्ता के वकील ने मंगलवार को फिर कलकत्ता हाइकोर्ट का ध्यान आकर्षित किया. मंगलवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश तपोब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष ध्यानाकर्षण किया. इसके बाद ही न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के लिए गुरुवार का दिन तय कर दिया. याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि हाइकोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वर्ष 2010 से पहले तक जारी किये गये ओबीसी प्रमाणपत्रों में ओबीसी-ए और ओबीसी-बी के रूप में कोई वर्गीकरण नहीं था. इसके बावजूद कॉलेज प्रवेश पोर्टल पर आज भी ओबीसी-ए और ओबीसी-बी के नाम से अलग-अलग विकल्प दिखाये जा रहे हैं.
उन्होंने अदालत को बताया कि 17 जून को हाइकोर्ट ने ओबीसी से संबंधित पांच प्रमुख अधिसूचनाओं पर रोक लगायी थी, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार भर्ती प्रक्रिया जारी रखे हुए है. अब तक 72,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जिससे मामला जटिल होता जा रहा है. यह सुनने के बाद न्यायाधीश तपोब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका स्वीकार कर ली है, जिस पर गुरुवार को दोपहर दो बजे मामले की सुनवाई होगी.
गौरतलब है कि हाल ही में हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की नयी ओबीसी अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगायी थी, जो 31 जुलाई 2025 तक प्रभावी है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल वर्ष 2010 से पहले ओबीसी सूची में शामिल किये गये समुदायों को ही वैध माना जायेगा. अदालत के अनुसार, वर्ष 2010 से पहले पश्चिम बंगाल में कुल 66 समुदायों को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया गया था, जिनमें 54 गैर-मुस्लिम और 12 मुस्लिम समुदाय शामिल थे. अदालत ने यह भी कहा कि 2010 के बाद जिन समुदायों को ओबीसी सूची में जोड़ा गया, उनके प्रमाणपत्र अब अमान्य हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है