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महुआ मोइत्रा और कल्याण बनर्जी के बीच छिड़ा वाकयुद्ध

एक-दूसरे को बताया ‘नारी विरोधी’

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कोलकाता. एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस से जुड़े दो सांसदों के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है. यहां बात सांसद महुआ मोइत्रा व सांसद कल्याण बनर्जी की हो रही है, जो एक बार फिर आमने-सामने आ गये हैं. कसबा के लॉ कॉलेज में छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले को लेकर बनर्जी के विवादास्पद टिप्पणी को लेकर मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर उनपर हमला बोला. इसके बाद बनर्जी पलटवार करते हुए उन्होंने महिला नेता की निजी जिंदगी पर कटाक्ष कर दिया.असल में श्रीरामपुर के सांसद बनर्जी ने गत शुक्रवार को कथित तौर पर कहा था कि ‘‘यदि एक मित्र अपनी महिला मित्र से दुष्कर्म करता है, तो आप सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं? क्या विद्यालयों और कॉलेजों में पुलिस होगी? यह छात्रों द्वारा एक अन्य छात्रा के साथ किया गया अपराध था. उसकी (पीड़िता की) सुरक्षा कौन करेगा?’’ उक्त मामले को लेकर तृणमूल से जुड़े विधायक मदन मित्रा ने भी विवादास्पद टिप्पणी की, कड़ा रुख अपनाते हुए तृणमूल ने दोनों टिप्पणियों से किनारा करते हुए उसे उनकी निजी टिप्पणी करार दिया. इसके बाद ही सोशल मीडिया पर मोइत्रा ने पार्टी के नेताओं पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, “भारत में महिलाओं के प्रति घृणा व द्वेष पार्टी लाइन से परे है. तृणमूल कांग्रेस को अलग करने वाली बात यही है कि हम इन घृणित टिप्पणियों की निंदा करते हैं, चाहे वे कोई भी करे.” उन्होंने सोशल मीडिया पर तृणमूल द्वारा किये गये एक आधिकारिक पोस्ट को टैग भी किया, जिसमें सत्तारूढ़ दल के नेताओं के बयानों पर पार्टी ने अपना आधिकारिक रुख स्पष्ट किया है.

मोइत्रा के इस पोस्ट के बाद पत्रकारों से बातचीत में बनर्जी ने उन पर हमला करते हुए कहा, “महुआ कहती हैं कि मैं महिलाओं से द्वेष करता हूं-अच्छा, यह उनका ‘ट्वीट’ है. मेरा पहला सवाल है कि डेढ़ महीने के हनीमून के बाद वह भारत लौटीं और तुरंत मुझे निशाना बनाना शुरू कर दिया.

मैं महिलाओं से द्वेष नहीं करता. मैं महिलाओं के मुद्दों पर सबसे ज्यादा बोलता हूं, लेकिन महुआ खुद महिलाओं से इतनी द्वेष रखती हैं कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र कृष्णनगर में किसी भी सक्षम महिला नेता को उभरने नहीं देतीं.”

वह यहीं नहीं रुके और आगे कहा “वह (महुआ) मुझे महिला विरोधी कहती हैं, लेकिन एक महिला, जिसने दूसरी महिला की शादी तोड़ दी और खुद 65 साल के उस आदमी से शादी कर ली. उस महिला का क्या होगा? तो, यहां महिला विरोधी कौन है- मैं या वह? मैं ऐसे शख्स को मानसिक रूप से स्थिर नहीं मानता. मुझे उनसे नारीवाद या स्त्री-द्वेष के बारे में सीखने की जरूरत नहीं है. उन्होंने राजनीति में कब प्रवेश किया? वह कृष्णनगर में राहुल गांधी के नाम से राजनीति करती थीं. फिर 2011 में तृणमूल के स्वर्णिम दौर में वह विधायक बनीं, फिर सांसद बनीं. अब वह उसी सीट को नुकसान पहुंचा रही हैं., जिस पर वह काबिज हैं. मैं महिलाओं से कोई द्वेष नहीं करता, लेकिन भारत में केवल एकमात्र महिला (मोइत्रा) है, जिसे मैं पसंद नहीं करता.”

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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